निठारी कांड में फांसी की सजा पाने वाले सुरेंदर कोली को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने एक और मौका दे दिया है। एक तरफ 12 सितंबर को उसे फांसी देने की तैयारी हो रही है, तो वहीं कोली फिर सुप्रीम कोर्ट में सजा पर रोक लगाकर पुनर्विचार करने की याचिका दायर कर सकता है।
गौरतलब है कि मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि फांसी की सजा पाने वालों की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई खुली अदालत में होगी और दोषी को अपना पक्ष रखने के लिए आधा घंटे का वक्त दिया जाएगा।
पीठ ने ये भी कहा कि जिन लोगों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है, वो एक महीने के भीतर फिर याचिका दायर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट 24 जुलाई को देरी के आधार पर कोली की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है। यानी इस फैसले के आधार पर कोली को सुनवाई का एक और मौका मिल सकता है।
हालांकि, उसी दिन कोली ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के फैसले पर रोक लगाकर सुनवाई को संविधान पीठ में भेजने की अपील की थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
दरअसल, 1993 के मुंबई बम धमाके में फांसी की सजा पाने वाले याकूब मेमन और लाल किला हमले के दोषी आरिफ समेत छह दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई चेंबर में नहीं बल्कि खुली कोर्ट में हो और दोषी को भी अपना पक्ष रखने की इजाजत हो। मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को सौंपा गया और 2 सितंबर को इसी पर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।
हालांकि पीठ ने ये भी कहा कि जिनकी क्यूरेटिव पीटिशन यानी उपचारात्मक याचिका भी खारिज हो चुकी है, उन्हें ये मौका नहीं मिलेगा। इस फैसले से याकूब मेमन को भी फिर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का मौका मिल गया है। इसी आधार पर कोली सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
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