निर्भया मामले (Nirbhaya Case) में एक और पेंच फंसता हुआ दिखाई दे रहा है. दोषी पवन गुप्ता फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. अपराध के समय नाबालिग होने की दलील खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. डेथ वारंट को रद्द करने की भी मांग की. सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी के उस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की, जिसमें अपराध के समय पवन के नाबालिग होने की याचिका को खारिज कर दिया गया था. दोषी पवन गुप्ता के पास अभी दोनों विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका बचे हैं.
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषी विनय की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई. दोषियों के वकील ने कहा कि डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए. अभियोजन पक्ष (सरकारी वकील) ने मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई और कहा कि मुकेश की सभी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. जज ने आपसी बहस पर नाराजगी जताई. तिहाड़ जेल ने पटियाला हाउस को बताया कि विनय की दया याचिका लंबित है. ऐसे में उसकी डेथ वारंट को रद्द करने की याचिका प्री मेच्चोर है.
तिहाड़ जेल के मुताबिक आज कोई अपील या अर्जी लंबित नहीं है. विनय की दया याचिका लंबित है, बाकी दोषियों की याचिका लंबित नहीं है. विनय की दया याचिका का इंतजार किया जा सकता है, इसलिए बाकी तीन दोषियों को फांसी दी जा सकती है. ये किसी कानून या नियम के खिलाफ नहीं है.
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इसके बाद दोषियों के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका लंबित है. कल अक्षय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है. हम आदेश मिलने के बात उसकी ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाएंगे. तीन दोषियों के वकील ने कहा, जेल मैन्यूअल यही कहता है कि अगर किसी एक दोषी की भी याचिका लंबित हो तो बाकी को फांसी नहीं दी जा सकती.
दोषी के वकील एपी सिंह बोले, विनय की दया याचिका लंबित है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन दिए जाएंगे. इसलिए किसी को भी फांसी नहीं दी जा सकती. नयी तारीख तय की जाए. एपी सिंह ने कहा, शनिवार को किसी को फांसी नहीं दी जा सकती. डेथ वारंट पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगाई जाए. जब तक राष्ट्रपति दया याचिका पर फैसला ना करें.
निर्भया के मां-पिता की वकील ने वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि वो अब इस केस में पेश नहीं हो सकतीं. फिर कोर्ट ने वृंदा को बहस करने की इजाजत दी. वृंदा ने कहा कि कानून में खामियों के चलते देरी हो रही है. मुझे काफी देर बाद केस में मौका मिला. मैंने कोशिश की देरी ना हो इसलिए दोषी मुकेश की ओर से जल्द याचिकाएं लगाई. वृंदा ने कहा, दोषियों को अलग-अलग कर फांसी नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में नाराजगी जताई थी.
वृंदा ने कहा, जेल प्रशासन ने क्यूरेटिव पेटिशन का जिक्र मैन्यूअल में नहीं किया है. जबकि ये कानूनी उपाय सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध है. एक दया याचिका लंबित है, जो संवैधानिक प्राधिकरण के पास है. वो कब फैसला लेंगे ये कोई नहीं कह सकता. दूसरे कानूनी उपाय अन्य दोषियों के बचे हुए हैं, इसलिए सभी दोषियों की फांसी टाली जानी चाहिए.
वृंदा ग्रोवर ने कहा, हो सकता है कि एक दोषी की दया याचिका का नतीजा दूसरे दोषी से अलग हो. फांसी का आदेश एक ही आदेश के जरिए दिया गया है. इसलिए दया याचिका लंबित है तो फांसी टलनी चाहिए. एक की फांसी दूसरे से अलग नहीं होना चाहिए. ये वापस ना होने वाली प्रक्रिया है. इस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. अगर एक अपराध के लिए अलग-अलग सजा दी गई तो कोई उपचार नहीं होगा.
उन्होंने आगे कहा, अगर मान लो विनय की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दिया जाता है तो उसका क्या होगा जिसे फांसी दे दी गई. आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया.
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई पूरी हुई. वृंदा ग्रोवर ने SC के 1982 के हरबंश सिंह मामले में दिए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि निर्भया के हत्यारों को अलग-2 फांसी नहीं दी जा सकती. इस मामले में एक व्यक्ति को फांसी दी जा चुकी थी और बाद में दो की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया था.
वहीं, मौत की सजा वाले केसों में पीड़ित केंद्रीय गाइडलाइन बनाने पर विचार करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले शत्रुघ्न चौहान की गाइडलाइन में सुधार के मुद्दों पर बहस की.
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से CJI ने पूछा आप किसके तरफ से है? तुषार ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से. CJI ने कहा कि पीड़ितों के अधिकार की रक्षा के लिए कानून है. SG ने कहा कि दोषी को ट्रॉयल कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसके बाद क्यूरेटिव याचिका, लेकिन इसका फायदा उठाया जा रहा है. निर्भया के परिजनों की वकील ने वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई.
फांसी की सजा पाए दोषियों के कानूनी और संवैधानिक विकल्पों को इस्तेमाल करने के लिए समय सीमा तय करने को लेकर और क्या एक ही केस में एक से ज्यादा दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए या अलग-अलग इस पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा.
निर्भया के परिजनों की वकील ने कहा, ''ये मामले को खींच रहे हैं. जब एक ही केस हैं तो ये दोषी अलग-अलग क्यों याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं. निर्भया की वक़ील सीमा ने कहा, सभी दोषियों ने इस मामले को लंबा खींचने का लगातार सालों से कोशिश की है और अभी भी वहीं कर रहे हैं. इस लोगों ने जब तक कोई याचिका नहीं लगाई जब तक कि पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में डेथ वारेंट जारी नहीं कर दिया.
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निर्भया के वकील ने कोर्ट में कहा, नियम कहता है कि जेल प्रशासन इस संबंध में सरकार को संदेश भेजकर पूछेगा कि क्या फांसी रोकी जाए. अगर कोई जवाब नहीं मिलता तो फांसी को रोका जा सकता है. इसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने एपी सिंह को कहा, ''कल सुबह 6 बजे फांसी होनी है. आपको बहस पूरी करनी है. हमें आदेश देना है. आप या को खुद का बचाव कीजिए या फिर दोषी का.''
तिहाड़ जेल ने कहा, ''इसका कोई अंत नहीं है. कहीं तो ये रुकना चाहिए. तीन दोषियों को कल फांसी दी जा सकती है.'' फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा और जज ने कहा कि फैसले में कितना समय लगेगा कह नहीं सकता. शाम भी हो सकती है. सारे पक्षकार कोर्ट में ही रहें.
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