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आतंकियों को पैसा पहुंचाने के लिए उनके हमदर्दों के खातों का इस्तेमाल
आरबीआई की नजर से बचने के लिए जमा की जाती है एक लाख से कम राशि
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए अपनाया नया रास्ता
उन्होंने लोगों को इस बात के लिए राजी कर लिया जाता है कि वे अपने एकाउंट में पैसा डिपॉजिट करवा लें. इस पैसे से आतंक को बढ़ावा दिया जाता है. घाटी में आजकल यही हो रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि "जो पैसा बाहर से आता है वह यहां निकाल लिया जाता है. कमीशन के तौर पर सिर्फ एक फीसदी एकाउंट में रहने दिया जाता है."
एनआईए के मुताबिक शुरुआती जांच में ऐसे कई खाते सामने आए हैं. कई एकाउंटों में पैसा डिपॉजिट हुआ है, लेकिन जमा करने वाले का रिश्ता उस खाते के मालिक से बिलकुल नहीं है. यही नहीं यह भी पता चला है कि पैसा डिपॉजिट होने के 48 घंटों के अंदर निकाल भी लिया गया है.
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की जानकारी में आने से बचने के लिए इन बैंक खातों में राशि हमेशा एक लाख से कम जमा की गई है. कानून के मुताबिक भारतीय बैंकों को सस्पीशियस ट्रांजेक्शन रिपोर्ट (STR) देना होती है. खास तौर पर अगर रकम दो लाख के ऊपर हो और साथ में किसी खाते विशेष से पैसा किसी खाते में ट्रांसफर किया जा रहा हो.
एनआईए का कहना है कि घाटी में पैसा अलग-अलग बैंकों में इसलिए जमा किया जा रहा है ताकि बैंक एसटीआर न भेजें। तीन से चार महीने में खातों में पैसा भेजा जा रहा है. कई मामलों में कई कश्मीरी कारोबारी जो गल्फ में हैं, के खातों में ओवर इनवाइसिंग भी सामने आई है. एनआईए इसकी भी जांच कर रही है.
कई कारोबारियों के बारे में इनकम टैक्स विभाग से भी जानकारी मांगी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस पैसे से घाटी में आतंकवादियों की मदद हुई है? जानकारी के मुताबिक सेना ने एनआईए को खबर दी है कि पैसा बाहर से आतंकवादियों की मदद के लिए आ रहा है. इसके बाद जांच एजेंसी ने इसकी प्राथमिक जांच शुरू कर दी है.
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