एनजीटी की तस्वीर
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह के कारण यमुना के डूबक्षेत्र को पहुंचे नुकसान पर अपनी विशेषज्ञ समिति की ओर से दिए गए निष्कर्षों पर सवालिया निशान लगाने वाले डीडीए को फटकार लगाई है. एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीडीए के वकील के अभ्यावेदन पर नाराजगी जाहिर की. इस अभ्यावेदन में विशेषज्ञों के सात सदस्यीय पैनल के निष्कर्षों पर सवाल उठाया गया था.
पीठ ने कहा, ‘यह सही नहीं है. आप उन लोगाे पर तीखी टिप्पणियां नहीं कर सकते, जिन्होंने अपना जीवन पर्यावरण के नाम कर दिया. हम आप लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कोई इस तरह से आलोचना करता है तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाएंगे नहीं. ’डीडीए के वकील ने कहा कि उनका इरादा सवालिया निशान लगाना नहीं था. वह सिर्फ विशेषज्ञों के पैनल द्वारा इस्तेमाल किए गए निष्कर्षों और प्रौद्योगिकियों के आधार पर सवाल पूछ रहे थे.
इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति ने एनजीटी को बताया था कि यमुना के उस डूबक्षेत्र को पुर्नजीवित करने के लिए 42.02 करोड़ रुपये की भारी रकम की जरूरत पड़ेगी, जिसे पिछले साल आर्ट ऑफ लीविंग द्वारा आयोजित भव्य सांस्कृतिक समारोह के कारण नुकसान पहुंचा.
पीठ ने कहा, ‘यह सही नहीं है. आप उन लोगाे पर तीखी टिप्पणियां नहीं कर सकते, जिन्होंने अपना जीवन पर्यावरण के नाम कर दिया. हम आप लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कोई इस तरह से आलोचना करता है तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाएंगे नहीं. ’डीडीए के वकील ने कहा कि उनका इरादा सवालिया निशान लगाना नहीं था. वह सिर्फ विशेषज्ञों के पैनल द्वारा इस्तेमाल किए गए निष्कर्षों और प्रौद्योगिकियों के आधार पर सवाल पूछ रहे थे.
इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति ने एनजीटी को बताया था कि यमुना के उस डूबक्षेत्र को पुर्नजीवित करने के लिए 42.02 करोड़ रुपये की भारी रकम की जरूरत पड़ेगी, जिसे पिछले साल आर्ट ऑफ लीविंग द्वारा आयोजित भव्य सांस्कृतिक समारोह के कारण नुकसान पहुंचा.
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