राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि विपक्ष की अगली बैठक 13 और 14 जुलाई को बेंगलुरु में होगी. पटना में 23 जून को हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने घोषणा की थी कि भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की रणनीति बनाने के लिए अगली बैठक शिमला में होगी.
साल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए 16 विपक्षी दलों की बैठक पटना में हुई थी.
पटना में चार घंटे चली बैठक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच तीखी नोकझोंक के साथ समाप्त हुई थी. 'आप' ने कहा था कि वह भविष्य में विपक्षी दलों की ऐसी किसी बैठक में भाग नहीं लेगी जिसमें कांग्रेस भी शामिल हो. वह ऐसा तब तक करेगी जब तक कि कांग्रेस सार्वजनिक रूप से दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के विवादास्पद अध्यादेश की निंदा नहीं करती.
शरद पवार ने हाल ही में कहा था कि पटना बैठक में "प्रधानमंत्री पद" के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई. एनसीपी प्रमुख ने कहा कि बैठक में महंगाई, बेरोजगारी और देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने के "जानबूझकर किए गए प्रयासों" जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना में आयोजित की गई विपक्ष की बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टियों ने कहा कि वे एक कॉमन एजेंडे पर और राज्य-वार रणनीति के तहत मिलकर चुनाव लड़ेंगी.
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने विपक्ष की बैठक को महज ''फोटो लेने का अवसर'' करार देते हुए खारिज कर दिया था. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बैठक में शामिल होने वाले नेता वे थे जिन्हें आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने जेल में डाल दिया था. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट कर रही है क्योंकि वह अपने दम पर चुनाव जीतने में असमर्थ है.
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