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This Article is From May 29, 2023

"नहीं सोचा था अपने जीवन में नई संसद में बैठूंगा, 91 साल के देवेगौड़ा हुए भावुक

देवेगौड़ा ने कहा कि भारत के लोग हमेशा सतर्क और बहुत समझदार रहे हैं, और जब भी उन्होंने किसी को अत्याचार करते और देश के संतुलन को बिगाड़ते देखा है, तो लोगों ने चुपचाप उन्हें इस महान संसद से बाहर निकाल दिया.

देवेगौड़ा ने कहा कि 32 साल पहले जब मैंने लोगों के इस महान संसद में प्रवेश किया था...

बेंगलुरु:

दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में रविवार को शामिल होने वाले पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़े क्षण के साक्षी बने. देवेगौड़ा (91) ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने जीवन में नए संसद भवन में बैठेंगे. उन्होंने कहा, "यह मेरा सौभाग्य है कि मैं भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़े क्षण का गवाह बना. मैंने 1962 में कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया और 1991 से संसद सदस्य रहा हूं. 32 साल पहले जब मैंने लोगों के इस महान संसद में प्रवेश किया था, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगा और मुझे इतने लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने की उम्मीद नहीं थी."

देवेगौड़ा ने एक बयान में कहा, "लेकिन इससे भी बड़ा आश्चर्य यह है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने जीवन में कभी नए संसद भवन में बैठूंगा- मैंने ऐसा 91 साल की उम्र में किया." जनता दल (सेक्युलर) के संरक्षक ने कहा कि भारतीय परंपरा में और सामान्य भारतीय के जीवन में, एक नए घर का निर्माण और एक नए घर में प्रवेश करना बहुत ही शुभ और दुर्लभ क्षण होता है. उन्होंने कहा, "किसी राष्ट्र के जीवन में यह एक असाधारण क्षण है."

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पूर्व प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जब पुराने संसद भवन का उद्घाटन किया गया था, तब भारत औपनिवेशिक शासन में था और आज़ादी आसन्न नहीं थी. कई प्रमुख राष्ट्रीय हस्तियों को याद करते हुए देवेगौड़ा ने कहा, "हमारा देश और संसद खूनी क्रांति से दागदार नहीं है." उन्होंने कहा, "हम शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीकों के जरिए एक राष्ट्र बने. यह एक अमूल्य उपलब्धि थी. यह हमारी विरासत है और यही मूल्य प्रणाली है, जिसे हमें संरक्षित करना है और अपनी आने वाली पीढ़ियों को देना है."

देवेगौड़ा के अनुसार, आजादी के बाद से संसद ने उतार-चढ़ाव देखा है, अहंकार और विनम्रता देखी है, हार-जीत देखी है, लेकिन कुल मिलाकर इसने संतुलन बनाए रखने और भारत के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश की है. बुजुर्ग नेता ने कहा कि संसद ने सभी जातियों, सभी नस्लों, सभी धर्मों, सभी भाषाओं और सभी भौगोलिक क्षेत्रों को संरक्षण किया है. उन्होंने कहा, "इसने सभी प्रकार की राय, विचारों और विचारधाराओं को समायोजित किया है. इसने विविधता को स्वीकार किया है और हमारे लिए लोकतंत्र के इस नए घर में भारत की इस विशाल विविधता को संरक्षित करने से बड़ा कोई लक्ष्य नहीं है."

देवेगौड़ा ने कहा कि भारत के लोग हमेशा सतर्क और बहुत समझदार रहे हैं, और जब भी उन्होंने किसी को अत्याचार करते और देश के संतुलन को बिगाड़ते देखा है, तो लोगों ने चुपचाप उन्हें इस महान संसद से बाहर निकाल दिया. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हम सभी लोक सेवकों को कई बार सबसे कठिन सबक सिखाया है. नए संसद भवन के उद्घाटन के इस अवसर पर मैं भारत के सभी लोगों को नमन करता हूं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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