- बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश निरंकुश और चरमपंथी प्रभाव की ओर बढ़ रहा है.
- NDTV को दिए इंटरव्यू में उन्होंने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर हमला बोला.
- शेख हसीना ने पद से हटाए जाने के बाद की अराजकता, घर की तबाही और अल्पसंख्यकों पर हमले का जिक्र किया.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नई दिल्ली स्थित अपने गुप्त आवास में एनडीटीवी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर तीखा हमला बोला और चेतावनी दी है कि बांग्लादेश आतंकवादी समूहों के साथ गठजोड़ करके निरंकुश शासन और चरमपंथी प्रभाव की ओर बढ़ रहा है. सत्ता से बेदखल होने के बाद अपने सबसे विस्फोटक इंटरव्यू में शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को अपने पद से हटाए जाने के बाद की अराजकता, परिवार के ऐतिहासिक घर की तबाही और अल्पसंख्यकों व लोकतंत्र पर राज्य की सहमति से हमले का जिक्र किया है. इस दौरान उन्होंने राजनीतिक वैधता के लिए अपनी लड़ाई और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक स्थिरता की वापसी को लेकर भी अपना दृष्टिकोण सामने रखा. आइए जानते हैं कि आदित्य राज कौल के सवालों पर शेख हसीना ने क्या कहा?
सवाल: बांग्लादेश छोड़ने के बाद से आपने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बहुत कम बात की है, ज्यादातर अपने समर्थकों और पार्टी सदस्यों को ही संबोधित किया है. 5 अगस्त 2024 को अपनी बेदखली को आप व्यक्तिगत रूप से कैसे देखती हैं? आपके नज़रिए से ये घटनाएं कैसे घटीं?
जवाब: पिछली गर्मियों की घटनाएं लोकतंत्र का एक दुखद अंत थीं. जो जायज छात्र विरोध प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ था, उसका फायदा लोकतंत्र-विरोधी ताकतों ने उठाया. हिंसा और धमकी के जरिए चुनी हुई सरकार को हटाने की साजिश रची गई, जिससे अराजकता और बेवजह जान-माल का नुकसान हुआ. बहुत जल्द ही यह साफ हो गया कि सुरक्षा स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि मेरे लिए अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए ढाका छोड़ना ही एकमात्र विकल्प था.
अपनी मातृभूमि को पीछे छोड़ना बहुत कष्टदायक था. यह देखना भी कठिन रहा है कि हमारी बहुलवादी संस्कृति पर हमला किया गया और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए हमने जो कदम उठाए थे, उन्हें बेवजह उलट दिया गया. लेकिन मुझे बांग्लादेश के लोगों की दृढ़ता और लोकतांत्रिक विकल्प की उनकी इच्छा पर पूरा भरोसा है.

सवाल: कथित तौर पर सरकारी अनुमति से काम कर रही भीड़ ने आपके पिता और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के निवास और उनकी विरासत के अंतिम बचे हुए प्रतीकों को नष्ट कर दिया, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया थी? इस नए राजनीतिक युग में बांग्लादेश के लोगों को उनकी स्मृति को कैसे संरक्षित और सम्मानित करना चाहिए?
जवाब: मेरे पिता के ऐतिहासिक आवास को ध्वस्त करना, बांग्लादेश के इतिहास से स्वतंत्रता के लिए लड़ी गई हमारी कठिन लड़ाई की विरासत को मिटाने का एक बर्बर प्रयास था. सत्ता में बैठे लोग हमारे मुक्ति संग्राम की भावना को मिटाना चाहते हैं. यह उन लोगों की स्मृतियों का घोर अपमान है, जिन्होंने हमारे भविष्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. हालांकि मेरा यह विश्वास है कि बांग्लादेश के लोग अपनी विरासत को कभी नहीं भूलने देंगे. यह विरासत स्थानों या भौतिक वस्तुओं में नहीं बल्कि उन मूल्यों में निहित है जिन्हें उन्होंने अपनाया: लोकतंत्र, समानता, धर्मनिरपेक्षता और आर्थिक मुक्ति. इन्हें बांग्लादेश की आत्मा से मिटाया नहीं जा सकता.
सवाल: बांग्लादेश में चुनावों की घोषणा में इतनी देरी का क्या कारण है? क्या आपको लगता है कि चुनावों और जनमत संग्रह की हालिया घोषणा के बाद निकट भविष्य में वास्तव में निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए कोई वास्तविक गुंजाइश है?
जवाब: यह एक अवैध सरकार है, जिसने मतदाताओं के फैसले के डर से जानबूझकर चुनाव टाले हैं. मुझे इस बात पर गहरा संदेह है कि फरवरी में होने वाले चुनाव, अगर होते भी हैं तो एक दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं होंगे, जो सरकार के असंवैधानिक शासन पर मुहर लगाने के लिए हैं. अवामी लीग पर प्रतिबंध हमारे देश के लिए एक खतरनाक और चिंताजनक मिसाल कायम करता है, जिसने इस प्रक्रिया में करोड़ों आम नागरिकों को मताधिकार से वंचित कर दिया है. अनिर्वाचित यूनुस सरकार ने पहले ही एक असंवैधानिक चार्टर का मसौदा तैयार कर लिया है और कई सुधारों का प्रस्ताव रखा है, जिनका कोई भी उद्देश्य निरंकुश शासन को वैध बनाने के अलावा और कुछ नहीं है. इस दिखावटी प्रक्रिया से चुनी गई कोई भी नई सरकार लोकतांत्रिक नहीं मानी जा सकती है.

सवाल: रिपोर्टें हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों के एक परेशान करने वाले पैटर्न की ओर इशारा करती हैं, जिसमें मंदिरों में तोड़फोड़, घरों में लूटपाट और जबरन विस्थापन शामिल है. यह हिंसा कितनी व्यापक है? क्या आप इसे विशुद्ध सांप्रदायिक के बजाय राजनीति से प्रेरित मानती हैं? क्या आपको लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी जियोपॉलिटिकल सुविधा के लिए इसे नजरअंदाज कर रहा है?
जवाब: यूनुस के सत्ता में आने के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की गई हिंसा से मैं बेहद व्यथित हूं. आज तक हजारों लोगों, उनके घरों, व्यवसायों और पूजा स्थलों पर हमले हुए हैं और कई लोग पलायन को मजबूर हुए हैं. राज्य न केवल उनकी रक्षा करने में विफल रहा है, बल्कि उसने उनके अस्तित्व को ही नकारकर इन क्रूर हमलों को सक्रिय रूप से मंजूरी दी है.
अपने 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान हमने कट्टरपंथी और अतिवादी ताकतों को नियंत्रित करने और अपने संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की. वर्षों तक बांग्लादेश हमारे क्षेत्र में धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक रहा है. यूनुस ने यह साफ कर दिया था कि हमारे देश में धार्मिक बहुलवाद के लिए कोई जगह नहीं होगी, जब उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में अतिवादियों को नियुक्त किया और हिज्ब-उत तहरीर जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े ज्ञात अपराधियों को रिहा किया. मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि ये राजनीतिक और धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हैं.
पिछली गर्मियों में हुए विरोध प्रदर्शनों के तुरंत बाद हुई इस हिंसा की निंदा करने में अपने अंतरराष्ट्रीय साथियों के समर्थन के लिए मैं आभारी हूं, लेकिन मुझे डर है कि यह शुरुआती आक्रोश शांत हो गया है. समान अधिकार और सभी नागरिकों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.
सवाल: एक थ्योरी है कि अमेरिका ने बांग्लादेश के राजनीतिक परिवर्तन को प्रभावित किया होगा या यहां तक कि सत्ता परिवर्तन को भी प्रेरित किया होगा. इसमें कोई दम है या यह अतिशयोक्ति है? अमेरिका, भारत और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच आप अमेरिका के वास्तविक उद्देश्यों को कैसे देखती हैं? क्या आपके जाने के बाद से किसी अमेरिकी अधिकारी या सांसद ने आपसे संवाद किया है, जिससे उनकी भूमिका के बारे में आपकी धारणा बनी हो?
जवाब: मुझे ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जिससे पता चले कि पिछली गर्मियों की घटनाओं पर विदेशी ताकतों का कोई प्रभाव था. मुझे पता है कि अमेरिकी राजनीतिक हलकों में कई लोग यूनुस की आर्थिक उपलब्धियों की प्रशंसा करते थे और गलती से उन्हें राजनीतिक कौशल के बराबर मानते थे. अब जब उन्होंने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कट्टरपंथी अतिवादियों को शामिल करते, बांग्लादेश के लोकतांत्रिक ढांचे को ध्वस्त करते और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करते देखा है तो मुझे लगता है कि अब वे पश्चिमी उदारवादियों के बीच उतने लोकप्रिय नहीं रहे.
एक स्थिर, लोकतांत्रिक बांग्लादेश हम सभी के लिए फायदेमंद है. मेरा मानना है कि लोकतंत्र को महत्व देने वाला कोई भी देश हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की हमारी लड़ाई में हमारा साथ देगा.

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सवाल: भारत में आपकी वर्तमान उपस्थिति और मुहम्मद यूनुस की हालिया टिप्पणी ने ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत आपकी मेजबानी जारी रख सकता है. आज आप भारत के साथ अपने संबंधों को कैसे परिभाषित करेंगी, शरणार्थी, सहयोगी या रणनीतिक साझेदार? और आप अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों और बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य, दोनों में भारत की भूमिका को कैसे देखती हैं?
जवाब: मेरा स्वागत करने और मुझे अस्थायी शरण देने के लिए मैं भारत के लोगों की तहे दिल से आभारी हूं. हमारे देशों के बीच 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा, गहरे पारिवारिक और सांस्कृतिक संबंध और महत्वपूर्ण साझा सुरक्षा हित हैं.
हमारी साझेदारी एक-दूसरे की संप्रभुता के प्रति गहरे सम्मान और समझ पर आधारित है. बांग्लादेश का भविष्य उसके अपने लोगों और नेताओं द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए. मेरा मानना है कि भारत इसे समझता है और ढाका में एक परिपक्व और आधिकारिक साझेदार के साथ काम करना पसंद करेगा, जो लोगों की सच्ची सहमति से शासन करता हो.
सवाल: भारत और चीन के बीच बांग्लादेश की रणनीतिक स्थिति और वैश्विक शक्ति प्रतिद्वंद्विता के बीच क्या आपको लगता है कि आपके देश का भाग्य और आपका अपना राजनीतिक भविष्य आंतरिक सुधारों के साथ-साथ बाहरी भू-राजनीति से भी प्रभावित होगा? यदि आप नेतृत्व में वापस आती हैं तो आप इन ताकतों को कैसे संतुलित करने की योजना बना रही हैं?
जवाब: बांग्लादेश हमेशा से सभी का मित्र रहा है. अपने 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान हमने एक विश्वसनीय राजनयिक और आर्थिक साझेदार के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है. हमारे लोग समृद्धि चाहते हैं, टकराव नहीं. यही कारण है कि मैंने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि हमारी कूटनीति दीर्घकालीन रूप से हमारे आर्थिक और सामरिक हितों की पूर्ति करे.
इसी तरह आप एक सफल विदेश नीति बनाते हैं - अपने दीर्घकालिक हितों की पहचान करके, अन्य देशों के साथ साझा हितों के क्षेत्रों की खोज करके और उन हितों को आगे बढ़ाने या उनकी रक्षा करने के लिए उनके साथ धैर्यपूर्वक काम करके. इसके विपरीत यूनुस की कूटनीति अस्थिर और असंगत है और ऐसा लगता है कि वह अपने उन मित्र मित्रों से समर्थन प्राप्त करने की इच्छा से प्रेरित हैं, जिनसे उन्हें उम्मीद है कि वे उनके अनिर्वाचित प्रशासन को वैधता प्रदान करेंगे. विडंबना यह है कि इस प्रक्रिया में उन्होंने और भी दुश्मन और दोस्त बना लिए हैं. इस साल की शुरुआत में जब यूनुस उनके देशों के दौरे पर गए तो न तो ब्रिटिश प्रधानमंत्री और न ही फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने उनसे मुलाकात की. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से यूनुस के प्रति अपनी नापसंदगी व्यक्त की है और फिर निश्चित रूप से भारत के साथ उनके मतभेदों की त्रासदी भी है.

सवाल: आपकी बेदखली के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कथित तौर पर राजनयिक और सैन्य संबंध मजबूत हुए हैं. क्या आपको चिंता है कि यह नया गठबंधन बांग्लादेश के भीतर कट्टरपंथी या अतिवादी समूहों को बढ़ावा दे सकता है और इसे एक बार फिर आतंकवादी तत्वों के लिए सुरक्षित पनाहगाह में बदलने का जोखिम पैदा कर सकता है?
जवाब: हमने हमेशा पाकिस्तान के साथ रचनात्मक संबंध बनाए हैं, सावधानीपूर्वक और बांग्लादेश की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए. यूनुस ने दिखा दिया है कि वह इन संबंधों को दिशा देने के लिए किसी निर्वाचित और अनुभवी नेता की प्रतीक्षा करने के बजाय, अल्पकालिक कूटनीतिक प्रभाव के लिए संभावित रूप से खतरनाक उलझनों में लापरवाही से आगे बढ़ना पसंद करेंगे.
वर्तमान प्रशासन का कट्टरपंथी गुटों और ज्ञात आतंकवादी संगठनों के साथ गठजोड़ बेहद चिंताजनक है. दशकों से हमारी सरकार विदेशी और घरेलू आतंकवादी तत्वों को नियंत्रित करने में सफल रही है जो हमारी धर्मनिरपेक्ष पहचान और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा थे. इसके बजाय यूनुस ने इन चरमपंथियों को सत्ता के पदों पर बिठाया है और इन गुटों के फलने-फूलने के लिए परिस्थितियां पैदा की हैं.
बता दें कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के मामले में एक विशेष ट्रिब्यूनल का आज फैसला आने वाला है. इसे लेकर ढाका में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है और हिंसक प्रदर्शनकारियों को गोली मारने के आदेश दिए गए हैं.
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