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NDTV Creators Manch: नफरती मुनीर जिसके मुरीद, उस 'नजरिया-ए-पाकिस्तान' के जन्म की पूरी कहानी

शुक्रवार को NDTV Creators मंच में शामिल भारत के पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव ने नजरिया ए पाकिस्तान, टू नेशन थ्योरी पर खुलकर बात की. उन्होंने नजरिया-ए-पाकिस्तान की 1888 वाली कहानी भी सुनाई.

पाकआर्मी चीफ आसिम मुनीर और भारत के पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव.

  • NDTV Creators मंच पर पूर्व राजनियिक डीपी श्रीवास्तव ने टू-नेशन थ्योरी पर चर्चा की.
  • उन्होंने पाकिस्तान के 'नजरिया-ए-पाकिस्तान' विचारधारा का भी उल्लेख किया.
  • उन्होंने बताया कि इस विचारधारा को जन्म मोहम्मद अली जिन्ना, इकबाल और सैयद अहमद ने दिया था.
  • उन्होंने यह भी बताया कि सर सैयद अहमद ने 1857 की लड़ाई को बगावत कहा था.
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नई दिल्ली:

NDTV Creators मंच पर 'लेखन- कितना मुश्किल, कितना आसान' सेशन में शामिल हुए पूर्व राजनायिक डीपी श्रीवास्तव ने टू-स्टेट थ्योरी के साथ-साथ पाकिस्तान की 'नजरिया-ए-पाकिस्तान'की कहानी का भी जिक्र किया. इस सेशन में पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव के साथ-साथ पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया, पूर्व राजनयिक रुचि घनश्‍याम भी मंच साझा करते नजर आए. इस दौरान उन्होंने नजरिया-ए-पाकिस्तान के बारे में बात करते हुए कहा कि जिस नजरिया-ए-पाकिस्तान का जिक्र 16 अप्रैल की पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने अपनी स्पीच में किया था, उसमें तो कही ये गुंजाइश है ही नहीं कि हम उनसे सामान्य रिश्ते रखे. क्योंकि उनकी विचारधारा के हिसाब से न सिर्फ हम अलग लोग है बल्कि हमारे रिश्तों में कहीं समानता आ ही नहीं सकती. 

नजरिया-ए-पाकिस्तान का जन्म तीन लोगों ने दिया था

पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव ने आगे बताया कि इस विचारधारा को जन्म तीन लोगों ने दिया. मोहम्मद अली जिन्ना, इकबाल और सैय्यद अहमद. एक चौथे भी है, लेकिन इनको मानने से पाकिस्तानी झिझकते हैं, वो है सैयद अबुल अला मौदूदी. जिन्होंने जमात-ए-इस्लामी बनाई. 

सर सैयद अहमद ने अपनी किताब में 1857 के लड़ाकों को नमकहराम कहा

उन्होंने बताया 1857 की लड़ाई सबको पता है, उसके दो साल बाद सर सैयद अहमद ने एक किताब लिखी- असबाब-ए-बगावत-ए-हिंद. उन्होंने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को बगावत कहा. उस किताब में उन्होंने अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के लिए लड़ने वाले सैनिकों को नमक हराम कहा. बहादुर शाह जफर को बदमाश बताया. इस किताब में उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सरकार शब्द का इस्तेमाल किया.

1888 में मेरठ की स्पीच में हिंदू-मुस्लिम को दो राष्ट्र बताया था

पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव ने आगे कहा कि सर सैयद अहमद ने 1888 में मेरठ की एक स्पीच में हिंदू और मुस्लिम को दो अलग राष्ट्र बताया था. यह भी कहा कि हिंदू और मुस्लिम के बीच में शांति तभी होगी जब एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के ऊपर अपनी सार्वभौमिकता बैठा लेगा. सर सैयद अहमद की किताब को कोट करते हुए पूर्व राजदूत डीपी श्रीवास्तव  ने कहा कि जिन्ना साहब ने 1940 में जिस टू नेशन थ्योरी की बात कही थी, उसकी शुरुआत 60 साल पहले सैयद अहमद ने ही कर दी थी. 

इकाबल महान कवि लेकिन उनकी विचारधारा अजीब

इसके बाद उन्होंने इकबाल की कृतियों पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि इकबाल बहुत बड़े कवि थे. लेकिन उनकी विचारधारा अजीब थी. उन्होंने राष्ट्रवाद को ही रिजेक्ट कर दिया. उनका मानना था कि धर्म सबसे ऊपर है.  ऐसा नहीं था सभी मुसलमान उनके साथ थे, बहुत मुसलमान उनसे अलग भी थे. 

मौलाना मदनी की किताब और इकबाल की विचारधारा का भी जिक्र

मौलाना मदनी का जिक्र करते हुए डीपी श्रीवास्तव ने बताया कि मैंने मौलाना मदनी की किताब का भी अनुवाद किया है. इकबाल की जो विचारधारा थी, उसे मौदुदी ने डिफेंड किया. ये एक बड़ी अजीब चीज है कि इकबाल और मौदुदी एक ही खेमे में नजर आते हैं. क्वेटा मिलिट्री स्टाफ कॉलेज में एक टेक्सबुक है ब्रिगेडियर मलिक की. जिसमें ब्रिगेडियर मलिक ने कहा कि किसी अंत तक पहुंचने का आतंकवाद अपने में एक साधन नहीं है. आतंकवाद ही अंत है. 

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