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This Article is From Jan 08, 2016

Exclusive : मिलें पठानकोट के इस शूरवीर से, जिसने छह गोलियां लगने के बाद भी आतंकियों से लिया लोहा

Exclusive : मिलें पठानकोट के इस शूरवीर से, जिसने छह गोलियां लगने के बाद भी आतंकियों से लिया लोहा
प्रतीकात्मक तस्वीर
पठानकोट: तारीख भले बदल गई हो लेकिन 2 जनवरी की तड़के, एक हेलीकॉप्टर उड़ने को तैयार था जो अपनी खास तकनीक से आतंकियों की जमीन पर पहचान करता है। यह सारी तैयारी पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों के हमले के मद्देनजर चल रही थी। आतंकियों के इस हमले से एयरबेस पर काफी नुकसान होने का अंदेशा था।

उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद थर्मल इमेजर्स तकनीक से लेस इस हेलीकॉप्टर ने चार संदिग्धों की पहचान कर ली। इनको सबसे पहले मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट एरिया के पीछे 2000 एकड़ में फैले घने जंगल में देखा गया। 45 मिनट बाद आतंकियों की लोकेशन कुछ मीटर की दूरी पर स्थित मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बेस में देखी गई।

भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे ताकि उन्हें डिटेक्ट न किया जा सके।

सुबह करीब 3.00 बजे 12 गरुड कमांडो को तैनात किया जा चुका था। तीन जोड़ों की एक टीम को मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट विंग के बाहर तैनात किया गया और तीन जोड़ों की एक टीम को पाकिस्तानी आतंकियों  पर हमला करने का आदेश दिया गया।
 

गरुड कमांडो विंग कमांडर गुरसेवक सिंह को हमले की जिम्मेदारी मिली। इनके पीछे कमांडो शैलेश गौर और उनका साथी कटल था।

आतंकियों से आमना-सामना से ठीक पहले गुरसेवक ने अपने साथियों के साथ एक बड़े पत्थर की आड़ ली, लेकिन तब तक तीन गोलियां उन्हें लग चुकी थी और वे आतंकियों से लड़ाई लड़ते जा रहे थे।

गुरसेवक के गिरते ही, शैलेश और कटल ने अपनी इजरायल में बनी मशीन गन का मुंह खोल दिया और आतंकियों का सामना किया। इसके बाद, शैलेश के पेट में करीब आधा दर्जन गोलियां लग गईं और उनका बहुत खून बहने लगा। बावजूद इसके शैलेश ने अपनी पोस्ट नहीं छोड़ी और कटल के साथ मिलकर करीब एक घंटे तक आतंकियों का सामना किया। वे इस बीच बैक अप का इंतजार कर रहे थे।

इसके बाद आतंकी वहां से निकलने में कामयाब हुए, लेकिन उन्हें टेक्निकल एरिया में घुसने नहीं दिया गया। इस इलाके में फाइटर जेट और हमला करने में प्रयोग में लाए जाने वाले हेलीकॉप्टर रखे गए थे। यह इलाका एयरफोर्स के लिए काफी अहम होता है।

आतंकियों को मिटाने का पूरा ऑपरेशन करीब 80 घंटों तक चला और इस ऑपरेशन में सात सेना के लोग मारे गए और 20 घायल हुए जिनमें शैलेश भी शामिल हैं। उन्हें तीन घंटों बाद वहां से निकाला गया और पास ही बेस के बाहर स्थित अस्पताल में पहुंचाया गया। अंबाला का रहने वाला 24 वर्षीय शैलेश अब जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है।

 

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