संसद की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
संसद में बजट सत्र की कार्यवाही बाधित होने की वजह से एनडीए के सहयोगी दलों के सांसद अपना वेतन नहीं छोड़ेंगे. गुरुवार को शिवसेना और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि एनडीए के सांसद बजट सत्र के दौरान जितने दिन संसद की कार्यवाही बाधित रही है उतने दिन का वेतन नहीं लेंगे. बजट सत्र में कुल 23 दिन दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही थी. बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही के लगातार बाधित रहने को लेकर सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने कहा कि एनडीए सांसदों के 23 दिन के वेतन छोड़ने के मुद्दे पर वह भाजपा के साथ नहीं है.
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शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने हालांकि कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गयी थी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना भाजपा के साथ नहीं है. सावंत ने कहा कि उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया। उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एनडीए की याद आती है. शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह एनडीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है.
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वहीं एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी इस फैसले का विरोध किया. रालोसपा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें एनडीए सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
VIDEO: विपक्षी पार्टियों ने किया संसद में प्रदर्शन.
मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं . भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी भी वेतन छोड़ने के फैसले के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह हर दिन राज्यसभा गए और अगर कार्यवाही नहीं हुई तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है. (इनपुट भाषा से)
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शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने हालांकि कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गयी थी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना भाजपा के साथ नहीं है. सावंत ने कहा कि उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया। उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एनडीए की याद आती है. शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह एनडीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है.
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वहीं एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी इस फैसले का विरोध किया. रालोसपा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें एनडीए सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
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मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं . भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी भी वेतन छोड़ने के फैसले के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह हर दिन राज्यसभा गए और अगर कार्यवाही नहीं हुई तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है. (इनपुट भाषा से)