प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
घर में चोरी, सड़क पर छीना-झपटी, डकैती जैसे अपराध में मुंबई और महाराष्ट्र का हिस्सा पूरे देश में 40 फीसदी से भी ज्यादा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कहते हैं कि पिछले तीन सालों में अकेले महाराष्ट्र में इस तरह के अपराधों में 11,794 करोड़ रुपये की लूट हुई है.
सड़क पर झपटमारी हो या घर में चोरी, महाराष्ट्र में लोग इन अपराधों में करोड़ों गंवा चुके हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2013-2015 के बीच देश भर में 28,944 करोड़ की लूट हुई, जिसमें अकेले महाराष्ट्र में ये रक़म 11,794 करोड़ रुपये थी यानी कुल लूट का 41 फीसदी, इस दौरान दिल्ली में 1,992 करोड़ रुपयों की लूट हुई, जबकि कर्नाटक में 1,048 करोड़ रुपयों की , उत्तर प्रदेश में ये रक़म थी 902 करोड़ रुपये.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता अशोक दुधे इस मामले में कहते हैं कि शहर में हर घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाती है, महिला और बुजुर्गों की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. लेकिन जवाब देते वक्त शायद पुलिस भूल जाती है कि अपराध हो रहा है तभी रिपोर्ट दर्ज करवाई जा रही है. दुधे ने ये भी कहा, "चेन स्नैचिंग के ज्यादातर मामले सुबह के वक्त होते हैं जब महिलाएं या बुजुर्ग सुबह की सैर के लिये जाते हैं. झपटमारी को एक संगठित गिरोह अंजाम देता है. हम उन जौहरियों पर भी नज़र रख रहे हैं जो लूट के गहने ख़रीदते हैं."
घटना के बाद पुलिस जांच करती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि सोने-चांदी का मिलना इसलिये मुश्किल है क्योंकि इसे फौरन गलाकर बेच दिया जाता है. अपराधी पैसों को शराब या बार में उड़ा देते हैं. शहर के सीसीटीवी की जद में आने से अपराध पर कैमरे की नजर तो पड़ने लगी है, लेकिन सड़क पर पुलिस की मुस्तैदी में कमी से और मामले की जांच में देरी से ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, अपराधी बेखौफ हो रहे हैं.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में हर साल तकरीबन 3,700 करोड़ रुपयों का सामान या गहने लूटे जा रहे हैं, तीन साल में रिकवरी हुई है 861 करोड़ रुपये की जो कुल लूट का दस फीसदी भी नहीं है, झपटमारों पर मकोका लगाने से लेकर लोगों को जागरूक करने जैसे कई अभियान पुलिस ने चलाए हैं लेकिन फिर भी ये आंकड़े साबित करते हैं कि सड़क पर पुलिस को और चुस्त होने की जरूरत है.
सड़क पर झपटमारी हो या घर में चोरी, महाराष्ट्र में लोग इन अपराधों में करोड़ों गंवा चुके हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2013-2015 के बीच देश भर में 28,944 करोड़ की लूट हुई, जिसमें अकेले महाराष्ट्र में ये रक़म 11,794 करोड़ रुपये थी यानी कुल लूट का 41 फीसदी, इस दौरान दिल्ली में 1,992 करोड़ रुपयों की लूट हुई, जबकि कर्नाटक में 1,048 करोड़ रुपयों की , उत्तर प्रदेश में ये रक़म थी 902 करोड़ रुपये.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता अशोक दुधे इस मामले में कहते हैं कि शहर में हर घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाती है, महिला और बुजुर्गों की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. लेकिन जवाब देते वक्त शायद पुलिस भूल जाती है कि अपराध हो रहा है तभी रिपोर्ट दर्ज करवाई जा रही है. दुधे ने ये भी कहा, "चेन स्नैचिंग के ज्यादातर मामले सुबह के वक्त होते हैं जब महिलाएं या बुजुर्ग सुबह की सैर के लिये जाते हैं. झपटमारी को एक संगठित गिरोह अंजाम देता है. हम उन जौहरियों पर भी नज़र रख रहे हैं जो लूट के गहने ख़रीदते हैं."
घटना के बाद पुलिस जांच करती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि सोने-चांदी का मिलना इसलिये मुश्किल है क्योंकि इसे फौरन गलाकर बेच दिया जाता है. अपराधी पैसों को शराब या बार में उड़ा देते हैं. शहर के सीसीटीवी की जद में आने से अपराध पर कैमरे की नजर तो पड़ने लगी है, लेकिन सड़क पर पुलिस की मुस्तैदी में कमी से और मामले की जांच में देरी से ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, अपराधी बेखौफ हो रहे हैं.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में हर साल तकरीबन 3,700 करोड़ रुपयों का सामान या गहने लूटे जा रहे हैं, तीन साल में रिकवरी हुई है 861 करोड़ रुपये की जो कुल लूट का दस फीसदी भी नहीं है, झपटमारों पर मकोका लगाने से लेकर लोगों को जागरूक करने जैसे कई अभियान पुलिस ने चलाए हैं लेकिन फिर भी ये आंकड़े साबित करते हैं कि सड़क पर पुलिस को और चुस्त होने की जरूरत है.
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