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This Article is From Feb 06, 2021

किसान आंदोलन के बीच सिद्धू ने किया ट्वीट- 'गुरूर में इंसान को इंसान नहीं दिखता'

किसान आंदोलन चल रहा है. आज किसान चक्का जाम करेंगे, इस बीच नवजोत सिंह सिद्धू के इस ट्वीट के मायने निकाले जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने इंसान के गुरूर की बात की है.

किसान आंदोलन के बीच सिद्धू ने किया ट्वीट- 'गुरूर में इंसान को इंसान नहीं दिखता'
किसान के चक्का जाम वाले दिन नवजोत सिंह सिद्धू का ट्वीट

कृषि कानूनों को लेकर संसद से सड़क तक किसान आंदोलन चल रहा है. शनिवार को किसान चक्का जाम करने जा रहे हैं. इसी बीच नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu ) ने ट्वीट किया है, हालांकि उन्होंने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन उन्होंने इस ट्वीट के जरिए एक सीख देने की कोशिश की  है. उन्होंने लिखा कि गुरूर में इंसान को इंसान नहीं दिखता, जैसे छत पर चढ़ जाओ तो अपना ही मकान नहीं दिखता. कुछ लोग तो इस ट्वीट के मायने भी खोज रहे हैं.

बता  दें कि किसान आंदोलन (Kaisan Aandolan) को लेकर सिद्धू, नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ बेहद मुखर हैं और लगातार चुटीली-धारदार टिप्‍पणियां करते रहते हैं. इससे पहले भी सिद्धू ने लिखा था कि अमीर के घर में बैठा कौआ भी मोर नज़र आता है,एक गरीब का बच्चा क्या तुम्हे चोर नज़र आता है?' सिद्धू के इस शायराना अंदाज के भी लोगों ने अपनी समझ के हिसाब  वैसे कई लोगों का मानना है कि किसानों को लेकर दिल्‍ली से लगी सीमा पर पुलिस की नाकेबंदी को लेकर उन्‍होंने तंज कसा है.

गौरतलब है कि इससे पहले कृषि कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं-आपत्तियों पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जब उच्‍च स्‍तरीय समिति के गठन का फैसला किया था तब भी सिद्धू ने ट्वीट किया था. उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा था, 'लोकतंत्र में कानून, जनप्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं न कि माननीय कोर्ट या कमेटियों के द्वारा...कोई भी मध्‍यस्‍थता, बहस या चर्चा किसानों और संसद के बीच ही होनी चाहिए.''

कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर के किसान दिल्‍ली में आंदोलन कर रहे हैं.किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है. सरकार ने 22 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई आखिरी दौर की बातचीत में कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था. किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं.
 

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