नवजोत सिंह सिद्दू को मिली राहत
नई दिल्ली:
पिछले महीने हुए अमृतसर रेल हादसे की जांच कर रहे अधिकारी ने पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को क्लीन चिट देते हुए उन्हें दुर्घटना की जांच कर रहे आयोग के समक्ष पेश होने से छूट दे दी है. इस दुर्घटना में 60 लोग मारे गए थे. जालंधर के संभागीय आयुक्त बी. पुरुषार्थ 19 अक्टूबर को हुए अमृतसर रेल हादसे की जांच कर रहे हैं. सिद्धू को क्लीन चिट देते हुए पुरुषार्थ ने यहां पत्रकारों को बताया कि आयोग सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के जरिए एक पत्र में मंत्री की ओर से दिए गए जवाब से संतुष्ट है और उन्हें आयोग के समक्ष पेश होने से छूट दे दी गई है. गत 31 अक्टूबर को जांच आयोग ने सिद्धू दंपती से कहा था कि वह पेश होकर अपना बयान दर्ज कराएं.
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पुरुषार्थ ने कहा कि नवजोत कौर सिद्धू से ट्रेन हादसे और उस दशहरा कार्यक्रम के बारे में कई सवाल किए गए गए जिसमें वह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई थीं. उनके जवाब संतोषजनक थे. गौरतलब है कि अमृतसर ट्रेन दुर्घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने ट्रेन ड्राइवर के उस बयान का विरोध किया है, जिसमें उसने कहा था कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ट्रेन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. बता दें कि पुलिस और रेलवे अधिकारियों को दिये एक बयान में ट्रेन के चालक ने कहा कि उसने ट्रेन नहीं रोकी क्योंकि दुर्घटनास्थल पर भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था.
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19 अक्टूबर को रावण का पुतला दहन देखने के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आने से 62 लोगों की मौत हो गई थी. अमृतसर में वार्ड नंबर 46 के पार्षद शैलेन्द्र सिंह शली ने बताया कि मैं घटनास्थल पर था. ट्रेन रोकने की बात तो छोड़ दीजिये यह धीमा भी नहीं हुआ. ऐसा लगा कि अगर चालक चाहता तो हमें भी कुचल देता. ट्रेन कुछ सकेंड में हमारे पास से गुजर गयी.''
VIDEO: अमृतसर ट्रेन हादसा में मरने वालों की संख्या बढ़ी.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या ऐसे में हमारे लिए तार्किक रूप से ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है जब हमारे आसापास मृत और घायल लोग पड़े हों? क्या ऐसी घटना के बाद हमारे लिए ऐसा आचरण कर पाना और तेज रफ्तार में जा रही एक ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है? चालक झूठ बोल रहा है.'(इनपुट भाषा से)
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पुरुषार्थ ने कहा कि नवजोत कौर सिद्धू से ट्रेन हादसे और उस दशहरा कार्यक्रम के बारे में कई सवाल किए गए गए जिसमें वह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई थीं. उनके जवाब संतोषजनक थे. गौरतलब है कि अमृतसर ट्रेन दुर्घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने ट्रेन ड्राइवर के उस बयान का विरोध किया है, जिसमें उसने कहा था कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ट्रेन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. बता दें कि पुलिस और रेलवे अधिकारियों को दिये एक बयान में ट्रेन के चालक ने कहा कि उसने ट्रेन नहीं रोकी क्योंकि दुर्घटनास्थल पर भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था.
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19 अक्टूबर को रावण का पुतला दहन देखने के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आने से 62 लोगों की मौत हो गई थी. अमृतसर में वार्ड नंबर 46 के पार्षद शैलेन्द्र सिंह शली ने बताया कि मैं घटनास्थल पर था. ट्रेन रोकने की बात तो छोड़ दीजिये यह धीमा भी नहीं हुआ. ऐसा लगा कि अगर चालक चाहता तो हमें भी कुचल देता. ट्रेन कुछ सकेंड में हमारे पास से गुजर गयी.''
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उन्होंने कहा, ‘‘क्या ऐसे में हमारे लिए तार्किक रूप से ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है जब हमारे आसापास मृत और घायल लोग पड़े हों? क्या ऐसी घटना के बाद हमारे लिए ऐसा आचरण कर पाना और तेज रफ्तार में जा रही एक ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है? चालक झूठ बोल रहा है.'(इनपुट भाषा से)
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