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This Article is From Feb 28, 2012

देशव्यापी हड़ताल का मिला-जुला असर

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देश की प्रमुख 11 ट्रेड यूनियनों ने बढ़ती महंगाई, सार्वजनिक कंपनियों के विनिवेश तथा सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ यह हड़ताल की है।
नई दिल्ली: देश की प्रमुख ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है। सरकार की ‘श्रम विरोधी’ नीतियों तथा मूल्यवृद्धि के खिलाफ एक दिन की हड़ताल से देश के कुछ हिस्सों में बैंकिंग और परिवहन सेवाओं पर असर पड़ा है।

राजधानी दिल्ली में हड़ताल का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सामान्य कामकाज पर मामूली असर पड़ा है। हालांकि हड़ताल के मद्देनजर कई आटो तथा टैक्सी चालकों ने सड़कों पर अपने वाहन नहीं उतारे हैं। यात्रियों का कहना है कि बसों की आवाजाही भी कम है। सुबह में कई यात्री रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर फंसे हुए थे।

प. बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने पर उनके खिलाफ ‘सेवा में बाधा’ जैसी कार्रवाई की जाएगी।

सरकारी बसें, टैक्सियां, ट्राम, ट्रेन और मेट्रो रेल सेवाएं सामान्य रहीं जबकि निजी बसें कम संख्या में नजर आईं। रेलवे सूत्रों ने बताया कि पूर्वी रेलवे के हावड़ा, आसनसोल और माल्दा डिविजन में ट्रेन सेवाएं सामान्य हैं।

हड़ताल का देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आंशिक असर ही देखने को मिल रहा है। हड़ताल का आह्वान मूल्यवृद्धि और सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के खिलाफ किया गया है। मुंबई में हड़ताल का असर सिर्फ वित्तीय संस्थानों पर दिखाई दे रहा है।

मुंबई में बैंकिंग और बीमा क्षेत्र को छोड़कर कमोबेश हर क्षेत्र में सामान्य तरीके से कामकाज हो रहा है। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं हड़ताल से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुई हैं। बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में ट्रेड यूनियनों की अच्छी खासी मौजूदगी है।

संप्रग सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर आयोजित हड़ताल के कारण केरल में आज जनजीवन प्रभावित हुआ। राज्य में बसों के पहिए थमे रहे और दुकाने बंद रहीं।

केरल में हड़ताल के कारण बैंक और कार्यालयों का कामकाज प्रभावित हुआ क्योंकि वाम समर्थित यूनियनें भी केंद्र की संप्रग सरकार की ‘नई श्रमिक अर्थव्यवस्था और श्रम नीतियों’ के खिलाफ की जा रही हड़ताल में शामिल हो गई हैं।
केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार ने राज्य में हड़ताल के खिलाफ सरकारी कार्यालयों में ‘काम नहीं-वेतन नहीं’ का आदेश दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन एवं साधारण बीमा क्षेत्र ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। हड़ताल की वजह से देश के प्रमुख भारतीय स्टेट बैंक सहित अन्य सरकारी बैंकों में जमा, निकासी और समाशोधन का काम प्रभावित हुआ है।

देशभर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं की संख्या 87,000 है। देश के बैंकिंग कारोबार में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और एक्सिस बैंक तथा विदेशी बैंकों में समाशोधन जैसी सेवाओं को छोड़कर अन्य का कामकाज सामान्य तरीके से हो रहा है।

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