प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
देश इमारत है तो बच्चे भविष्य की बुनियाद और पहल उसी बुनियाद को मजबूत करने की है। सवाल बच्चों के स्वास्थ्य का है और सपना स्वस्थ भारत का। लिहाजा 10 फरवरी को नेशनल डिवार्मिंग डे मनाया जा रहा है जिसके तहत कोशिश 1 से 19 साल तक के 27 करोड़ बच्चों को दवाई देने की है। ताकि स्वस्थ भारत का निर्माण मुमकिन हो पाए।
देशभर के सभी आंगनबाड़ी और सरकारी स्कूलों के बच्चों ये दवाई आज दी जा रही है। जो छूट जाएंगे उनको 15 फरवरी को पेट के कीड़े को खत्म करने की दवाई दी जाएगी। मुफ्त दी जाने वाली ये दवाई एलबेंडाजोल है।
पिछले साल देश के 277 ज़िलों के 9 करोड़ बच्चों को ये दवा दी गई। इस साल 536 ज़िलों के 27 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का टारगेट है। मिट्टी से होने वाली बीमारियों में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है और भारत में 14 साल तक के 22 करोड़ बच्चे इसकी चपेट में हैं।
मलिक रैडिक्स हॉस्पिटल के प्रमुख और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक कहते हैं कि एलबेंडाजोल मान्यता प्राप्त दवाई है और इसके साइड इफेक्ट न के बराबर हैं। दरअसल ये दवाई तमाम तरह के वर्म इंफेक्शन से लड़ने के लिए रामबाण है। पेट में पनपने वाले कीड़े बहुत खतरनाक होते हैं। इससे खून की कमी यानी एनीमिया तक हो सकता है। मानसिक और शारीरिक परेशानी भी हो सकती है। इतना ही नहीं बच्चे कुपोषण तक के शिकार हो सकते हैं।
देशभर के सभी आंगनबाड़ी और सरकारी स्कूलों के बच्चों ये दवाई आज दी जा रही है। जो छूट जाएंगे उनको 15 फरवरी को पेट के कीड़े को खत्म करने की दवाई दी जाएगी। मुफ्त दी जाने वाली ये दवाई एलबेंडाजोल है।
पिछले साल देश के 277 ज़िलों के 9 करोड़ बच्चों को ये दवा दी गई। इस साल 536 ज़िलों के 27 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का टारगेट है। मिट्टी से होने वाली बीमारियों में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है और भारत में 14 साल तक के 22 करोड़ बच्चे इसकी चपेट में हैं।
मलिक रैडिक्स हॉस्पिटल के प्रमुख और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक कहते हैं कि एलबेंडाजोल मान्यता प्राप्त दवाई है और इसके साइड इफेक्ट न के बराबर हैं। दरअसल ये दवाई तमाम तरह के वर्म इंफेक्शन से लड़ने के लिए रामबाण है। पेट में पनपने वाले कीड़े बहुत खतरनाक होते हैं। इससे खून की कमी यानी एनीमिया तक हो सकता है। मानसिक और शारीरिक परेशानी भी हो सकती है। इतना ही नहीं बच्चे कुपोषण तक के शिकार हो सकते हैं।
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