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भारत का 16,300 करोड़ का मिशन 'NCMM', चीनी AI से तेज चौंकेगी दुनिया

भविष्य की ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए अगर कहें तो क्रिटिकल मिनरल्स ऐसे मिनिरल्स होते हैं जिनकी जरूरत तो सबसे ज्यादा है लेकिन इन मिनिरल्स की सप्लाई बेहद सीमित है.

भारत का 16,300 करोड़ का मिशन 'NCMM', चीनी AI से तेज चौंकेगी दुनिया
क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर भारत बनेगा आत्मनिर्भर, सरकार ने लॉन्च की योजना
नई दिल्ली:

भारत सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन के लॉन्च करने के साथ ही आने वाले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र का बड़ा प्लेयर बनने की योजना बना चुका है. इस मिशन के तहत भारत सरकार कुल 34,300 करोड़ रुपये का खर्च करेगी. और इसके तहत भविष्य की जरूरतों के हिसाब से नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों के इस्तेमाल और आपूर्ति पर जोर दिया जाएगा.  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए बुधवार को 16,300 करोड़ रुपये के 'राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन' (NCMM) को मंजूरी दी है. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों  के आयात पर निर्भरता को कम करना और आत्मनिर्भरता  सुनिश्चित करना है.

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सरकार के इस मिशन को एक गेमचेंजर के तौर पर देखा जा रहा है.बताया जा रहा है कि इस मिशन को अगले सात वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से 18,000 करोड़ रुपये का निवेश भी मिलने की संभावना है. इस मिशन के तहत सरकार देश के अंदर ऐसी जगहों की खोज पर ज्यादा फोकस करेगी जहां खनीज संपता मिलने की संभावना ज्यादा हो. तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ खनिज जैसे महत्वपूर्ण खनिज तेजी से बढ़ती ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे. पवन टर्बाइन और बिजली नेटवर्क से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी निर्माण तक में इनका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर बढ़ रहा है.

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह मिशन शुरू करने का फैसला किया गया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को इस फैसले की जानकारी दी. वैष्णव ने कहा कि एनसीएमएम का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना और इस मामले में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है.

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उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत 24 महत्वपूर्ण खनिजों को चिह्नित किया गया है. इसके लिए 16,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण, खनन, प्रसंस्करण और उत्पादन बंद हो चुके उत्पादों से इन खनिजों की वसूली जैसे वैल्यू चेन से जुड़े सभी चरण शामिल होंगे. इस मिशन के तहत महत्वपूर्ण खनिजों के प्रोत्साहन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है. सरकार को उम्मीद है कि यह मिशन देश के भीतर और इसके अपतटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को तेज करेगा. इस बीच खान मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से इस मिशन के लिए आवंटित 16,300 करोड़ रुपये के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के भी इसमें अगले सात वर्षों में 18,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की संभावना है.फंडिंग मिलाकर 34,300 करोड़ का प्रोजेक्ट है. 

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इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की खनन परियोजनाओं के लिए रेगुलेटरी मंजूरी की प्रक्रिया को त्वरित बनाना है. इसके अलावा मिशन महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देगा और इन संसाधनों को 'ओवरबर्डन' और 'टेलिंग्स' से दोबारा निकालने की गतिविधि को बढ़ावा देगा.'ओवरबर्डन' मिट्टी और चट्टान की वह परत होती है जिसे खनिजों तक पहुंचने के लिए हटाया जाता है. वहीं 'टेलिंग्स' वे पदार्थ होते हैं जो खनिजों को निकालने के बाद या बाद में बचे रह जाते हैं. वैष्णव ने कहा कि एनसीएमएम का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के इंटरप्राइजेज और निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करने और संसाधन समृद्ध देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है.

यह मिशन देश के भीतर महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार के विकास का भी प्रस्ताव करता है. मिशन में खनिज प्रसंस्करण पार्कों की स्थापना और महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण का समर्थन करने के प्रावधान भी शामिल हैं. इसमें महत्वपूर्ण खनिज प्रौद्योगिकियों में शोध को बढ़ावा देने और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है.


कैसे गेम चेंजर बनेगा ये मिशन

जानकारों के अनुसार भारत सरकार का यह मिशन आने वाले में भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित होने वाला है.ऐसा इसलिए भी क्योंकि इससे एक तो भारत क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं होगा और अगर भारत में अपनी जरूरत से ज्यादा मिनिरल्स का भंडार मिला तो वो इसका दूसरे जरूरतमंद देशों को इसका निर्यात भी कर पाएगा. ये मिशन बाजार में भी भारत को एक बड़ा प्लेयर बनने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. भारत ग्रीन एनर्जी तकनीक के इस्तेमाल से भविष्य की जरूरत कों ना सिर्फ पूरी कर पाएगा बल्कि दूसरों देशों की तुलना में और तेजी से इस क्षेत्र में विकास भी कर पाएगा.क्रिटिकल मिनरल्स भारत के आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. इस मिशन की मदद से ऊर्जा स्रोतों, इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा और हाई टेक उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा.

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क्रिटिकल मिनिरल क्या होते हैं और कहां आते हैं काम 

भविष्य की ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए अगर कहें तो क्रिटिकल मिनरल्स ऐसे मिनिरल्स होते हैं जिनकी जरूरत तो सबसे ज्यादा है लेकिन इन मिनरल्स की सप्लाई बेहद सीमित है. भारत अभी तक इनमें से अधिक मिनरिल्स के लिए आयात पर निर्भर है. अगर आसान शब्दों में कहें तो भारत इन मिनरल्स के लिए अभी तक दूसरे देशों पर अधिक निर्भर है. ऐसे खनिजों में कुल 50 खनिज शामिल होते हैं. इनमें से कुछ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मिनरल्स हैं - एल्यूमीनियम, एंटीमनी, आर्सेनिक, बैराइट, बेरिलियम, बिस्मथ, सेरियम, सीजियम, क्रोमियम, कोबाल्ट, डिस्प्रोसियम, एर्बियम, यूरोपियम, फ्लोरस्पार, गैडोलीनियम, गैलियम , जर्मेनियम, ग्रेफाइट, होल्मियम और लैंटानम जैसे खनीज मुख्य रूप से शामिल हैं. 


भारत के क्रिटिकल मिनिरल्स की लिस्ट और उनका इस्तेमाल

भारत के लिए सबसे जरूरी मिनरल्स में लिथियम, कोबाल्ट, निकल, ग्रेफाइट, टाइटेनियम, और रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं. लिथियम की मदद से भारत बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में इजाफा कर सकता है. वहीं कोबाल्ट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक बैटरियों और रक्षा क्षेत्र में किया जा सकता है. निकल की मदद से स्टेनसेल स्टील और ऊर्जा भंडारण में सहायता मिलेगी. वहीं ग्रेफाइट का इस्तेमाल बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए किया जा सकेगा. इसी तरह रेयर अर्थ एलिमेंट्स से मैग्नेट, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों को बनाने में मदद मिलेगी. 

इस मिशन से भारत को फायदा

भारत सरकार के इस मिशन से इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी. कहा जा रहा है कि इस मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही भारत इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और हाई टेक उद्योगों के लिए भारत अपनी खुद की सप्लाई चेन तैयार कर सकेगा. इतना ही इससे आयात पर निर्भरता भी कम होगी. अभी तक चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से इन खनिजों के आयात पर काफी हद तक निर्भर है. लेकिन आगे ये निर्भरता जरूर कम होगी. इस मिशन की वजह से ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा. भारत सरकार का ये मिशन ग्रीन एनर्जी सोलर, विंड और ईवी क्षेत्र के लिए आवश्यक खनिजों की आपूर्ति को सुनिश्चित करेगा. और इस क्षेत्र में भारत गेम चेंजर बन सकेगा.    

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अमित शाह ने क्या कुछ कहा था

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी देने से देश एक स्व-संचालित विकास और परिवर्तन इंजन में बदल जाएगा.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16,300 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी,जिसमें हरित ऊर्जा हस्तांतरण की दिशा में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने और भारत की यात्रा को तेज करने के उद्देश्य से सात वर्षों में 34,300 करोड़ रुपये के कुल आउटले की परिकल्पना की गई है.उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी किया है.

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इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आज केंद्रीय मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार. यह पीएम मोदी का एक ऐतिहासिक निर्णय है,जो उद्योगों को समर्थन देने वाले महत्वपूर्ण खनिजों में हमारी अर्थव्यवस्था को खुद पर निर्भर बनाकर भारत को एक स्व-संचालित विकास और परिवर्तन इंजन में बदल देगा. शाह ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के लिए इथनॉल खरीद मूल्य में संशोधन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से तेल आयात बिलों में कटौती,वायु प्रदूषण के स्तर में कमी और चीनी मिलों तथा गन्ना किसानों की आय में वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आएगी.
 

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