धर्म के उसूलों का हवाला देकर नाबालिग मुस्लिम लड़कियों (Muslim Minor Gilrs) के निकाह (Nikah) को वैध करार देने वाले विभिन्न हाईकोर्ट के फैसलों को राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है. मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राष्ट्रीय महिला आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दखिल कर कर्नाटक और पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट सहित कई और हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों पर रोक लगाने की मांग करते हुए इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है. इन फैसलों में पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए मुस्लिम लड़कियों की शादी उनके पीरिएड शुरू होने के बाद कभी भी किए जाने को जायज ठहराया गया था. याचिकाकर्ता राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि इन फैसलों से पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन होगा. साथ ही किसी भी एक्ट और लॉ के बीच अगर मतभेद हो तो लॉ को ही वरीयता देने के नियम का क्या होगा?
राष्ट्रीय महिला आयोग ने विवाह के लिए एक समान न्यूनतम आयु सीमा तय करने की गुहार के साथ हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 15 साल की भी मुस्लिम लड़की के विवाह को जायज बताया गया है.आयोग की दलील है कि ये आदेश पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन करता है. मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद यानी 8 जनवरी 2023 को होगी.
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