- वैज्ञानिक निशांत पर 2018 में ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को देने का आरोप लगा था.
- यूपी और महाराष्ट्र एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई कर नागपुर में निशांत अग्रवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था.
- सेशन कोर्ट ने निशांत अग्रवाल को सरकारी गोपनीयता अधिनियम उल्लंघन के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
हनी ट्रैप में फंस कर पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट की खुफिया जानकारी देने वाले वैज्ञानिक को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. 2018 में नागपुर के मोहगांव स्थित ब्रह्मोस प्रोजेक्ट की जानकारी पाकिस्तान को भेजने का आरोप वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल पर लगा था. निशांत अग्रवाल ब्रह्मोस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत थे. 8 अक्टूबर 2018 को UP और महाराष्ट्र ATS ने संयुक्त कार्रवाई कर नागपुर के उज्ज्वल नगर इलाके में उनके घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार किया था. उन पर सरकारी गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन का आरोप था.
सेशन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी
वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल से पूछताछ के बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा. जहां सेशन कोर्ट ने वैज्ञानिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सेशन कोर्ट के इस फैसले को निशांत ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस चुनौती पर सुनवाई करते हुए नागपुर खंडपीठ (उच्च न्यायालय) ने सज़ा कम करते हुए तीन साल का कारावास सुनाया.
हाईकोर्ट से मिली राहत, अब तीन साल की सजा
यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने दिया. बताते चले कि नागपुर की अतिरिक्त सत्र अदालत ने वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अब हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद तीन साल की सज़ा पूरी करने के बाद निशांत अग्रवाल की रिहाई संभव हो सकेगी.
वैज्ञानिक के घर में रखे कंप्यूटर से मिली थी गोपनीय जानकारी
बताते चले कि हनी ट्रैप में फंसकर खुफिया जानकारी पाकिस्तान को भेजने का मामला सामने आने के बाद जांच के दौरान वैज्ञानिक के घर में रखे कंप्यूटर में अत्यंत गोपनीय जानकारी मिली थी. ATS को शक था कि उन्होंने यह जानकारी पाकिस्तान को उपलब्ध कराई. इसी आधार पर 8 अक्टूबर 2018 को कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण से जुड़ी कंपनी में सीनियर सिस्टम इंजीनियर थे निशांत
नागपुर के उज्ज्वल नगर इलाके में निशांत अग्रवाल किराए के मकान में रहते थे. वे ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण से जुड़ी कंपनी में सीनियर सिस्टम इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे. यूपी और महाराष्ट्र एटीएस को संदेह था कि हनी ट्रैप में फँसकर उन्होंने जासूसी की और दफ्तर की गोपनीय जानकारी अपने घर के कंप्यूटर में रखकर उसे दुश्मन देश को सौंपा.
(नागपुर से प्रवीण गणेशराव मुधोलकर की रिपोर्ट)
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