
- सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि यूपी के 27000 स्कूलों के मर्ज होने से लाखों बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा.
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत 14 वर्ष तक बच्चों को अनिवार्य और गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलनी चाहिए.
- उन्होंने कहा कि राइट टू एजुकेशन कानून के अनुसार हर एक किमी पर स्कूल होना अनिवार्य है, पर यूपी में ऐसा नहीं है.
नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि यूपी के खस्ताहाल स्कूलों का मुद्दा लोकसभा में उठाया. मुद्दा उठाने के बाद NDTV से बात करते हुए सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 ए के मुताबिक अच्छे से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए . यह उनका मौलिक अधिकार है. उत्तर प्रदेश सरकार 27000 स्कूल मर्ज कर रही है. इससे लाखों बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा. केंद्र द्वारा 2009 में राइट टू एजुकेशन का कानून बनाया गया. इसके मुताबिक एक किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना चाहिए . लेकिन आज उसे कानून को ताक पर रखा जा रहा है .
शिक्षा इसलिए समवर्ती विषय में आता है. जब राज्य और केंद्र का कानून में टकराव होता है ऐसी हालत में केंद्र के कानून को मनाना अनिवार्य होता है. ऐसी हालत में उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र के कानून को क्यों चुनौती दे रहा है?
प्रधानमंत्री से स्कूलों को बचाने की मांग की
उन्होंने आगे कहा कि क्योंकि गरीबों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनके भविष्य को बर्बाद करने में लगी है. यह सब अन्य केंद्र सरकार के सामने हो रहा है इसलिए मैंने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया. मैंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि स्कूल को बचाएं और उत्तर प्रदेश सरकार को समझाएं. गरीबों के बच्चे के ऊपर जो अंधकार छाने वाला है उसको बचाए .
सरकार जल्द कुछ नहीं की तो करेंगे आंदोलनः चंद्रशेखर
उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक भी अच्छा काम किया हो तो बताइए. यह सरकार तो स्कूल बंद कर रही है. आप तो कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह स्कूल बंद हो जाए ताकि गरीबों के दलितों के मुसलमान के बच्चे स्कूल में ना पड़े. अगर उत्तर प्रदेश सरकार जल्दी कुछ नहीं करती है तो हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे.
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