
मैसूर सैंडल सोप को कर्नाटक के इतिहास और वहां की संस्कृति का अहम हिस्सा करार दिया जाता है. इस साबुन को पहली बार सन 1918 में मैन्युफैक्चर किया गया था. अब एक सदी से ज्यादा समय के बाद इस साबुन की वजह से कर्नाटक में बवाल मचा है और इसकी आहट उत्तर भारत में भी महसूस की जा रही है. इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं मशहूर अदाकार तमन्ना भाटिया और उनके साथ कर्नाटक सरकार की हुई एक डील. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने तमन्ना के साथ साबुन के एंडोर्समेंट के लिए 6.2 करोड़ रुपये की एक एग्रीमेंट साइन किया है. अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर तमन्ना की जगह कर्नाटक की किसी एक्ट्रेस को इसके लिए क्यों नहीं चुना गया?
सरकार के फैसले पर सवाल
तमन्ना को कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट लिमिटेड (केएसडीएल) का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. इस कंपनी पर सरकार का नियंत्रण है और यही कंपनी मैसूर सैंडल सोप बनाती है. तमन्ना के साथ कर्नाटक की सरकार ने दो साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. प्रो-कर्नाटक ग्रुप्स, लोकल एक्टिविस्ट्स और विपक्षी नेताओं ने अब इस पर हंगामा मचाना शुरू कर दिया है. साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से राज्य सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
इस पूरे विवाद ने क्षेत्रीय पहचान और प्रतिनिधित्व पर एक बहस छेड़ दी है. आलोचकों का तर्क है कि सरकार को कर्नाटक की किसी एक्ट्रेस को इस ब्रांड का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनना चाहिए था जोकि राज्य के क्षेत्रीय संस्कृति को गहराई से समझती हो. तमन्ना जिनका जन्म मुंबई में हुआ है, उन्होंने करियर की शुरुआत दक्षिण की फिल्मों से ही की है. अब वह इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं.
एक्टिविस्ट्स ने औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने इस पूरे मसले को लेकर लिखित शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने मांग की है कि इस नियुक्ति को कैंसिल किया जाए. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कर्नाटक डिफेंस फोरम के स्टेट प्रेसीडेंट नारायण गौड़ा ने इस पूरे मसले को कर्नाटक के लोगों के नजरिये से 'अनैतिक', 'गैर-जिम्मेदाराना' और असंगत करार दिया है.
मैसूर सैंडल सोप एक विरासत
गौड़ा ने बताया कि मैसूर सैंडल सोप एक ऐसी विरासत है जिसका प्रतिनिधित्व कर्नाटक से जुड़े किसी व्यक्ति की तरफ से ही किया जाना चाहिए था. उन्होंने तर्क दिया कि विज्ञापन के लिए जो 6.2 करोड़ रुपये अलॉट किए गए हैं. उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार जैसे सोशल वेलफेयर के कामों पर ज्यादा सही तरह खर्च किए जा सकते थे. उनका कहना है कि कर्नाटक में काफी टैलेंटेड और पॉपुलर एक्ट्रेसेज हैं. अगर उन्होंने ब्रांड एंबेसडर बनाया जाता तो शायद वह यहां के लोगों के दिल के करीब रहता.
उनकी मानें तो अगर सरकार ऐसा करती तो शायद बाकी स्थानीय कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिलता, लेकिन यह नहीं किया गया. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपने फैसले से स्थानीय कलाकारों को नजरअंदाज किया और बॉलीवुड कलाकार को प्राथमिकता दी. गौड़ा का कहना था कि कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी को स्थानीय प्रतिभाओं को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए.
सरकार ने विवाद पर क्या कहा
वहीं राज्य सरकार ने इस पूरे विवाद पर अपना बचाव किया है. कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने कहा है कि यह फैसला मार्केटिंग एक्सपर्ट्स से सलाह-मशविरे के बाद ही लिया गया. उनका कहना है कि सरकार का मकसद इस फैसले के जरिये मैसूर सैंडल सोप को कर्नाटक के बाहर पहुंचाना और इसे एक राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना है. पाटिल ने कहा, 'हमने दीपिका पादुकोण, रश्मिका मंदाना, पूजा हेगड़े और कियारा आडवाणी समेत कई मशहूर हस्तियों का मूल्यांकन किया, उसके बाद तमन्ना को चुना गया. तमन्ना को देशभर में सोशल मीडिया पर 28 मिलियन लोग फॉलो करते हैं.
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