- 'अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव' अहमदाबाद में भारतीय ज्ञान परम्परा विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया है.
- अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने 'अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव' में अपने बचपन को याद किया.
- उन्होंने कहा, "लाखों हिंदुस्तानी बच्चों की तरह ही मेरी मां की गोद मेरी पहली पाठशाला थी"
अदाणी ग्रुप चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को 'ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव' सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए अपनी मां का जिक्र किया. गौतम अदाणी ने कहा, मेरी मां की गोद ही मेरी पहली पाठशाला थी. गौतम अदाणी ने कहा “मेरा अधिकतर बचपन गुजरात के बनासकांठा के रेगिस्तान में बीता था. लाखों हिंदुस्तानी बच्चों की तरह ही मेरी मां की गोद मेरी पहली पाठशाला थी. हर शाम जब घर के ऊपर सूरज ढलता था, मां मुझे और भाई-बहनों को एक साथ बिठाकर रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाती थीं".
'मेरी मां की गोद में ही मेरी पहली पाठशाला थी'- ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में बोले अदाणी ग्रुप चेयरमैन गौतम अदाणी#GautamAdani pic.twitter.com/GuuSAFg45C
— NDTV India (@ndtvindia) November 21, 2025
गौतम अदाणी ने आगे बताया कि उनकी मां सिर्फ कहानियां नहीं सुनाती थीं... वह कर्तव्य, भक्ति और धर्म के बीज बो रही थीं. मां समझाती थीं कि प्रभु राम की शक्ति उनके धनुष में नहीं, उनके धर्म में थी. जो अपना अहंकार छोड़ देता है, पराए के कल्याण के बारे में सोचता है. वहीं लोगों के हित के लिए दीपक बन सकता है. गौतम अदाणी ने कहा कि जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था, तो मां की वही कोमल आवाज दिल में गूंज उठी.
बता दें 'अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव: रिवाइविंग परम्परा फॉर ए यूनाइटेड वर्ल्ड' सम्मेलन अहमदाबाद के अदाणी शांतिग्राम टाउनशिप में आयोजित किया गया.
प्रतियोगिता का आयोजन
इस सम्मेलन में पांच प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं. एक अधिकारी ने कहा कि इसकी एक मुख्य विशेषता यह है कि प्रतिभागी भारतीय ज्ञान परम्परा के 16 विषयगत क्षेत्रों में अपने शोध और विचार का प्रदर्शन कर सकते हैं.
प्रतियोगिता के विजेताओं को चार पुरस्कार दिए जाएंगे- एक लाख रुपये, 50,000 रुपये, 30,000 रुपये और 20,000 रुपये.
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