मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले (Muzaffarpur Shelter Home Case) में दिल्ली की एक अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर (Brajesh Thakur) को उम्रकैद की सजा सुनाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को उसके शेष जीवन के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई. अदालत ने ठाकुर को 20 जनवरी को पॉक्सो कानून और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया था.
बता दें कि बीते महीने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत 20 आरोपियों में 19 को दोषी करार दिया था. एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया गया था. ब्रजेश ठाकुर के अलावा बालिकागृह की अधीक्षक इंदु कुमारी, बालिकागृह की गृह माता मीनू देवी, चंदा देवी, काउंसलर मंजू देवी, नर्स नेहा कुमारी, केस वर्कर हेमा मसीह, सहायक किरण कुमारी, तत्कालीन सीपीओ रवि कुमार, सीडब्लूसी के अध्यक्ष दिलीप कुमार, सीडब्लूसी के सदस्य विकास कुमार, ब्रजेश ठाकुर का ड्राइवर विजय तिवारी, कर्मचारी गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह, बालिकागृह के डॉक्टर अश्विनी, साइस्ता परवीन उर्फ मधु को अदालत ने दोषी करार दिया था.
मालूम हो कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी और एक श्मशान घाट से ‘हड्डियों की पोटली' बरामद हुई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या की थी.
सीबीआई ने कहा कि एक आरोपी की निशानदेही पर एक श्मशान घाट के एक खास स्थान की खुदाई की गई जहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है. गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा उछला था.
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