
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से अपना वह आदेश वापस लेने को कहा है, जिसमें मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद राज्य सरकार ने दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवारों को पांच लाख रुपये मुआवज़ा देने की घोषणा की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर यह होगा कि आप अपना यह आदेश वापस लें और सभी पक्ष के पीड़ितों को मुआवज़े में शामिल करें। यूपी सरकार के आदेश में मुस्लिम दंगा पीड़ितों से कहा गया था कि वे यह हलफ़नामा दें कि वे अपने गांव नहीं लौट सकते, तो उन्हें पांच लाख रुपये मुआवज़ा दिया जाएगा।
बाद में स्थानीय प्रशासन ने साफ़ किया था कि हलफ़नामे का मतलब यह नहीं है कि मुस्लिम दंगा पीड़ित अपनी संपत्ति पर अपना अधिकार खो देंगे।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा, सभी पीड़ित पात्र समान हैं। बेहतर होगा, आप अधिसूचना वापस लें।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने तत्काल कहा, किसी भी व्यक्ति को पुनर्वास (धर्म के आधार पर) से वंचित नहीं किया जाएगा और यह अधिसूचना में शामिल नहीं होना चाहिए था। हम इसे वापस लेकर नई अधिसूचना जारी करेंगे।
राज्य सरकार ने न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि 26 अक्टूबर की अधिसूचना वापस ले ली जाएगी और न्यायालय में बयान दिया कि नई अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा कि संबंधित प्राधिकारी प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति के मामले को देखेंगे और राहत तथा पुनर्वास उपाय सभी पर समान रूप से लागू होंगे।
(इनपुट भाषा से भी)
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