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This Article is From May 22, 2023

ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर की ASI से सर्वे कराने की याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की आपत्ति

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी आपत्ति में कहा है कि कमीशन की आख्‍या (रिपोर्ट) या एएसआई द्वारा जांचोपरांत दी गई आख्‍या को साक्ष्‍य इकट्ठा करने के उद्देश्‍य से कतई नहीं मंगाया जा सकता है.

ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर की ASI से सर्वे कराने की याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की आपत्ति
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बढ़ा विवाद
नई दिल्ली:

ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने सोमवार को अपनी आपत्ति दाखिल करायी। मामले की अगली सुनवाई की तारीख सात जुलाई नियत की गयी है. ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने सोमवार को बताया कि जिला न्‍यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने के आदेश देने के आग्रह वाली याचिका पर सोमवार को अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी.

मिश्रा ने बताया कि अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है. अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी आपत्ति में कहा है कि कमीशन की आख्‍या (रिपोर्ट) या एएसआई द्वारा जांचोपरांत दी गई आख्‍या को साक्ष्‍य इकट्ठा करने के उद्देश्‍य से कतई नहीं मंगाया जा सकता है. बिल्डिंग से जो सम्‍बन्धित वास्‍तविक तथ्‍य हैं, उसको जुबानी साक्ष्‍य द्वारा साबित नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में साक्ष्‍य इकट्ठा करने हेतु एएसआई द्वारा रिपोर्ट मांगने के लिये प्रार्थना पत्र दिया गया है जो विधि विरुद्ध है और कानूनन पोषणीय नहीं है.

कमेटी ने अपनी आपत्ति में यह भी कहा है कि वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के आदेश के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड की याचिका और एक अन्‍य याचिका इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में विचाराधीन है और दोनों ही याचिकाओं पर न्‍यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. ऐसे में उन्‍हीं बिंदुओं पर दोबारा उसी सम्‍पत्ति के बाबत एएसआई सर्वे कराने का प्रश्‍न ही नहीं उठता है, लिहाजा यह याचिका खारिज की जानी चाहिए.

मिश्रा ने बताया कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को 19 मई को ही वाराणसी के जिला अदालत में पूरे ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने के आदेश देने के आग्रह वाली याचिका पर अपनी आपत्ति दाखिल करनी थी लेकिन उसी दिन ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर उच्‍चतम न्‍यायालय में सुनवाई के चलते आपत्ति दर्ज नहीं हो पाई थी. 16 मई को वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का ASI से सर्वेक्षण कराने का आग्रह करने वाली याचिका सुनवाई के लिये मंजूर कर ली थी.

विदित हो कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी. अप्रैल 2022 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण आखिरकार मई 2022 में पूरा हुआ था. इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग' मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.

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