- मुंबई पुलिस ने मनोज जरांगे और उनकी टीम को आजाद मैदान खाली करने का नोटिस दिया है
- पुलिस के मुताबिक, केवल एक दिन प्रदर्शन की अनुमति थी, लेकिन 5 दिन से आंदोलन चल रहा है.
- पुलिस का कहना है कि तय सीमा से आठ गुना अधिक लगभग 40 हजार लोग जमा हुए, जिससे व्यवस्था बिगड़ी
मुंबई हाई कोर्ट ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को निर्देश दिया वे मंगलवार को शाम तीन बजे तक आजाद मैदान खाली करें, नहीं तो कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें. कोर्ट ने कहा कि आयोजकों को उस स्थिति की जिम्मेदारी लेनी होगी जहां 5000 से अधिक लोग एकत्र हुए और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा. उन्हें इसका जवाब देना होगा. इस मामले की अगली सुनवाई कल दोपहर 1 बजे निर्धारित की गई है. यदि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की गई, तो न्यायालय सख्त कार्रवाई कर सकता है.
कोर्ट ने कहा, "हमें उम्मीद है कि मनोज जरांगे लोगों से अपील करेंगे कि वे स्थान खाली करें. बीते कुछ दिनों में हमने काफी परेशानियाँ देखी हैं। आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है."
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— NDTV India (@ndtvindia) September 2, 2025
राज्य सरकार के वकील का बयान
राज्य सरकार के वकील ने कहा, "पुलिस ने हर स्थान पर जाकर लोगों से हटने की अपील की है. भीड़ बहुत अधिक थी, लेकिन अब उसमें कमी आई है. हालांकि, अभी भी कई जगहों पर लोगों को हटाना बाकी है. पुलिस कोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है. हमारे पास इस कार्रवाई के फोटो और वीडियो प्रमाण मौजूद हैं. हमने नोटिस जारी कर बताया कि कहां-कहां नियमों का उल्लंघन हुआ है. सभी को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रास्ते खाली करें, ताकि मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके."
हाई कोर्ट ने जरांगे से क्या कहा
कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर जरांगे और उनके समर्थक जगह खाली नहीं करते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिसमें भारी जुर्माना और अवमानना का मुकदमा भी शामिल है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे जरांगे की पीठ ने कहा कि वे चाहते हैं कि दोपहर तीन बजे तक पूरी तरह सामान्य स्थिति बहाल हो जाए. हाई कोर्ट ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने कानून का उल्लंघन किया है. इसलिए उन्हें बिना अनुमति के आजाद मैदान पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है. अदालत ने कहा, ‘यह बहुत गंभीर स्थिति है. हम राज्य सरकार से भी संतुष्ट नहीं हैं. ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से भी कुछ चूक हुई है.'

जरांगे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश मानेशिंदे ने मुंबई की सड़कों पर उनके कुछ समर्थकों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगी और कहा कि आरक्षण कार्यकर्ता ने पहले दिन से ही यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि किसी भी आम नागरिक को परेशानी न हो. इसके बाद अदालत ने पूछा कि क्या जरांगे और उनके समर्थक आजाद मैदान से चले गए हैं. जरांगे आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं.
पीठ ने कहा, ‘वे (जरांगे और उनके समर्थक) उल्लंघनकर्ता हैं और इसलिए उनके पास कोई अधिकार नहीं है. उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए, वरना हम कार्रवाई करेंगे. यह पूरी तरह से गैरकानूनी है. तीन बजे के बाद हम आजाद मैदान में किसी को भी आने की अनुमति न को मुंबई पुलिस ने हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद आजाद मैदान खाली करने का नोटिस थमाया है. हालांकि जरांगे ने ऐलान कर दिया है कि मरते दम तक वह मैदान नहीं छोड़ेंगे. मांगें पूरी नहीं हुईं तो हजारों मराठा मुंबई आकर बहुत बड़ा प्रदर्शन करेंगे. जरांगे के समर्थकों ने कौन-कौन से नियम तोड़े, जिस पर पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया है, आइए बताते हैं.
जरांगे ने शर्तों को तोड़ा
मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मराठा आरक्षण को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस द्वारा आंदोलन से पहले तय की गई शर्तों का उल्लंघन किया, इसलिए आजाद मैदान पुलिस ने जरांगे और उनकी कोर टीम को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस प्रदर्शन का आयोजन कर रही संस्था ‘आमरण उपोषण' और उसकी कोर टीम के 8 सदस्यों के नाम पर जारी किया गया है.
जरांगे समर्थकों ने तोड़े ये नियम
अवधि का उल्लंघन: प्रदर्शन के लिए केवल एक दिन (29 अगस्त, शाम 6 बजे तक) की अनुमति दी गई थी. इसके बावजूद तथाकथित अवैध रूप से प्रदर्शन 2 सितंबर तक जारी है.
संख्या का उल्लंघन: आजाद मैदान में अधिकतम 5,000 प्रदर्शनकारियों की सीमा निर्धारित थी, लेकिन इसके विपरीत लगभग 40,000 लोग जमा हुए, जो तय संख्या से आठ गुना अधिक थी.
प्रदर्शन से संबंधित नियम: प्रदर्शन में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को शामिल न करने की सलाह दी गई थी. फिर भी, कई वरिष्ठ नागरिक इसमें शामिल हुए. एक ने तो आत्महत्या करने की धमकी भी दी.
वाहनों की संख्या, पार्किंग: प्रदर्शनकारियों को केवल 5 वाहनों की अनुमति थी, लेकिन लगभग 5,000 वाहन शहर में लाए गए. इन्हें आजाद मैदान, मुख्य सड़कों और चौराहों पर अनधिकृत रूप से पार्क किया गया, जिससे गंभीर ट्रैफिक जाम की समस्या बनी.
कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन: प्रदर्शनकारियों ने हजारों वाहनों को हाईकोर्ट और मंत्रालय परिसर जैसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में पार्क करके रास्तों को अवरुद्ध किया, जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है.
आत्महत्या का प्रयास: यह शर्त रखी गई थी कि कोई भी व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास नहीं करेगा। इसके बावजूद, नांदेड़ के एक 37 वर्षीय प्रदर्शनकारी ने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया.
सार्वजनिक शांति भंग: प्रदर्शनकारियों ने सीएसएमटी, चर्चगेट और BMC मुख्यालय जैसे प्रमुख स्थानों पर रास्ते रोके, नागरिकों से अभद्र व्यवहार किया और यातायात में बाधा डालकर सार्वजनिक शांति भंग की.
उपकरणों का प्रयोग: लाउडस्पीकर और अन्य शोर करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल न करने की शर्त के बावजूद, प्रदर्शन में इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया गया.
स्वच्छता नियमों का उल्लंघन: निर्धारित क्षेत्र में खाना पकाने और कचरा फेंकने पर पाबंदी थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आजाद मैदान और आसपास के सार्वजनिक स्थानों पर खाना पकाया, कचरा फैलाया और गंदगी की.
अन्य प्रदर्शनों को रोका: आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पूरे आजाद मैदान पर कब्जा कर लिया, जिससे 29 अगस्त को होने वाले अन्य समूहों के प्रदर्शनों के लिए जगह नहीं बची और उनके आंदोलन करने के अधिकार का हनन हुआ.
एक दिन पहले सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा था कि मराठा आंदोलन के कारण मुंबई बिल्कुल ठप पड़ गई है. आंदोलन के दौरान सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है. इसे देखते हुए वह जरांगे और प्रदर्शनकारियों को मौका दे रही है कि मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली और साफ कर दी जाएं.
प्रदर्शनकारियों की एंट्री रोकी
मुंबई पुलिस ने अदालत के आदेशानुसार मराठा प्रदर्शनकारियों के मुंबई में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. प्रदर्शनकारियों के वाहनों को मुंबई में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. उन्हें नवी मुंबई के वाशी पार्किंग स्थल भेजा जा रहा है. वाशी प्रदर्शनी केंद्र के बाहर बड़ी संख्या में वाहन जमा हो गए हैं.
सरकार ने तैयार किया प्रस्ताव
आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे जरांगे को सौंपा जाएगा. सूत्रों के अनुसार, सरकार मराठा आरक्षण पर जीआर जारी करके कुनबी प्रमाण पत्र धारकों को आरक्षण का लाभ लेने की छूट दे सकती है. इसके अलावा कुनबी रिकॉर्ड्स को वेरिफाई करने के लिए तालुका और ग्राम पंचायत स्तर पर नई जांच समिति बनाने की भी तैयारी है.
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