विज्ञापन
This Article is From Sep 30, 2015

मुंबई लोकल ट्रेन धमाके : फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे दोषी

मुंबई लोकल ट्रेन धमाके : फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे दोषी
मुंबई में 11 जुलाई 2006 को लोकल ट्रेन में हुए बम विस्फोट का फाइल फोटो।
मुंबई: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिलेसिलेवार बम धमाकों के 5 दोषियों को सजा-ए-मौत मिली है और बाकी के 7 सारी उम्र सलाखों के पीछे काटेंगे। यह फैसला मकोका कोर्ट का है। जांच एजेंसी एटीएस ने इसे जहां अपनी जांच पर अदालत की मोहर बताया है वहीं दोषियों का कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिला इसलिए वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

सजा ए मौत पाने वालों में कमाल मोहम्मद वकील अंसारी , मोहम्मद फैजल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नावेद हुसैन खान राशिद हुसैन खान और आसिफ खान बशीर खान हैं। यह सभी प्लांटर हैं और इन्होंने साजिश की बैठकों में भी हिस्सा लिया था। डॉ तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी ,शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मगरब अंसारी, मुजम्मिल अतउर रहमान शेख, सोहैल महमूद शेख और जमीर अहमद रहमान शेख को उम्र कैद की सुनाई गई है।

अदालत के बाहर खुशी और गम का माहौल
दोपहर 12 बजे के करीब सजा का ऐलान होने के बाद मुंबई में सत्र न्यायालय के सामने कहीं खुशी और कहीं मायूसी का आलम था। तत्कालीन एटीएस प्रमुख केपी रघुवंशी ने फैसले पर खुशी जताई। एटीएस के दूसरे अफसर भी खुशी से एक-दूसरे के गले मिलते दिखे। दूसरी तरफ दोषियों के परिवार वाले गमगीन दिखे। जमियत उलेमा ए महाराष्ट्र के सचिव गुलजार आजमी मीडिया से बात करते - करते जमीन पर बैठ गए। फैसले से दुखी गुलजार ने कहा कि वे इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। पहले भी कई ऐसे कई मामले हुए हैं जब ऊपरी अदालतों ने निचली अदालतों के फैसलों को बदला है और बेगुनाह बरी हुए हैं।

बाकी दो प्लांटर कौन
अभी तक मामले में मीडिया से बचने वाले जमियत ए उलेमा के वकील भी आज मीडिया के सामने आए। ऐसे ही एक वकील शरीफ शेख ने पूछा कि एटीएस ने दावा किया था कि बम रखने वालों में 7 हिंदुस्तानी और 7 पाकिस्तानी थे। लेकिन अभी तक सिर्फ 5 हिंदुस्तानी प्लांटर का नाम ही सामने आ पाया है। बाकी के कौन हैं ? न तो कोई उनसे सवाल पूछ रहा है और न ही उनके पास इसका जवाब है। इसी तरह कुकर बम की उनकी थ्यौरी भी आरोप पत्र से गायब है। अदालत के बाहर मौजूद दोषियों के परिवार वालों ने भी फैसले पर दुख जताया।

एटीएस का दावा सही जांच का परिणाम है सजा
तत्कालीन एटीएस प्रमुख केपी रघुवंशी का कहना है कि अदालत का आज का फैसला इस बात की तस्दीक करता है कि हमारी जांच और केस बिल्कुल सही था। हमने जो सबूत और तथ्य अदालत के सामने रखे थे, बचाव पक्ष को सुनवाई का पूरा मौका देते हुए अदालत ने उन्हें सही पाया और सजा सुनाई।

नौ साल बाद भी नहीं भूल पाए वह घटना
नौ साल बाद आए फैसले को पीड़ित भी इंसाफ मान रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी पता है कि अभी और कानूनी लड़ाई लड़नी होगी। इस विस्फोट में यशवंत भालेराव के बेटे की मौत हो गई थी। वे हादसा कभी नहीं भूले पाए। यहां तक कि अपने घर का नाम हर्षल 7/11 रख दिया। 11 जुलाई 2006 को  मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में  सात धमाके हुए थे।11 मिनट के अंतराल मे हुए धमाकों मे 189 यात्रियों की मौत हुई थी और 815 जख्मी हुए थे।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
मकोका कोर्ट, मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट, लोकल ट्रेन, सजा-ए-मौत, हाईकोर्ट में अपील, मुंबई एटीएस, Mumbai Local Train Serial Blast, Capital Punsihment, Mumbai Local Train, Mumbai ATS
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com