बृहनमुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (BMC) की ओर से प्रकाश पर्व दीपावली के अवसर पर पब्लिक या प्राइवेट जगह पर पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है. ऐन मौके पर लिए गए इस फैसले का असर कई लोगों के व्यापार पर पड़ा है, वहीं वातावरण संस्थाएँ बीएमसी के गाइडलाइन से खुश नजर नहीं आ रहे..मुम्बई के मोहम्मद अली रोड पर मौजूद इन पटाखों के दुकानों पर दीवाली से पहले थोड़ी भीड़ ज़रूर दिख रही है, लेकिन अगर विक्रेताओं की मानें तो हर साल के मुकाबले यह कुछ भी नहीं है. प्रदूषण पर काबू पाने और कोविड, दूसरी बीमारियों से बचने के लिए BMC ने हाल ही में नियम जारी कर सार्वजनिक जगहों पर पटाखों को नहीं जलाने की बात कही है. बीएमसी की ओर से ऐन मौके पर लिए गए फैसले का असर इन लोगों के व्यापार पर पड़ा है जिन्होंने पहले ही पैसे खर्च करके पटाखे मंगवा लिए हैं.. यह सरकार का पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन नुकसान इन्हें उठाना पड़ रहा हैमुम्बई फायरवर्क वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी मिनेश मेहता कहते हैं, 'व्यापार पर ज़रूर असर पड़ा है.लोग कम हैं. केवल 20 से 30 फीसदी लोग ही यहां हैं. सेल पर ज़रूर असर पड़ा है.
प्रकाश पर्व दीपावली के लिए बाजार में भारतीय सामान की हो रही चर्चा लेकिन अभी भी...
बीएमसी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 14 नवंबर को प्राइवेट सोसायटी में रहने वाले लोगों को फुलझड़ी और अनार जैसे पटाखे का उपयोग करने की छूट है. लोगों को बिना पटाखे दीवाली मनाने की अपील की गई है. कोरोना महामारी के चलते लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने को हा गया है.पटाखों को लेकर जारी किए गए इन आदेशों पर जहाँ महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स का कहना है कि इससे प्रदूषण में कमी आएगी तो वहीं कई वातावरण संस्था अब भी प्रशासन के इन आदेशों से संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे है.
महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित कहते हैं, 'पटाखे प्रदूषण को बहुत बढ़ाते हैं. जो दमे के मरीज़, कोविड संक्रमित होने के बाद ठीक हो रहे हैं उन मरीजों को स्वाभाविक रूप से पटाखों के प्रदूषण से बहुत तकलीफ़ होगी. यही नहीं, आम लोग जिन्हें भले ही फेफड़ों की शिकायत न हो, उनकी तकलीफें भी प्रदूषण से बढ़ेंगी. वातावरण संस्था के फाउंडर भगवान केशभट ने कहा, ‘'BMC के पटाखों पर आई गाइडलाइन के हिसाब से हाउसिंग सोसायटीज में पटाखे जला सकते हैं, यानी बुजुर्ग, बच्चे और कोविड के वो मरीज़ जो क्वारंटीन में हैं ये उनके लिए ख़तरनाक है. BMC की गाइडलाइन बहुत उलझन में डालती है, साफ़ नहीं है.''
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