ट्रेन में यदि कोई जेबकतरा (Pickpocket) बटुआ उड़ा ले जाए तो उसके वापस मिलने की संभावना बहुत कम होती है. और यदि पर्स मुंबई की लोकल ट्रेन की भारी भीड़ में उड़ा लिया जाए तो फिर पर्स को भूल जाने के अलावा कोई आशा करना व्यर्थ ही है. लेकिन मुंबई (Mumbai) की ठसाठस भीड़ से भरी इसी लोकल ट्रेन (Local Train) में आपका जेब खाली कर दिया जाए और वह पर्स 14 साल बाद आपको मिल जाए तो..! यह आश्चर्यजनक वाकया सामने आया है. अपना बटुआ खोने वाले व्यक्ति को शासकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने उसका बटुआ उसे बुलाकर सौंप दिया है. उस बटुए में 900 रुपये थे जिसमें 500 का एक ऐसा नोट भी था जो कि नोटबंदी में बंद हो चुका है.
मुंबई की लोकल ट्रेन में 14 साल पहले चोरी हुए बटुए को पुलिस ने ढूंढकर उसे उसके मालिक को सौंप दिया है. बटुए में 900 रुपये थे. रेलवे पुलिस (जीआरपी) के एक अधिकारी ने कहा कि 2006 में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल-पनवेल लोकल ट्रेन में यात्रा करते समय हेमंत पेडलकर का बटुआ खो गया था. इस साल अप्रैल में जीआरपी वाशी ने उन्हें फोन कर बताया कि उनका बटुआ मिल गया है.
हालांकि, तब लागू लॉकडाउन के कारण वह अपना बटुआ लेने नहीं जा सके. प्रतिबंध हटने के बाद पनवेल निवासी पेडलकर वाशी में जीआरपी कार्यालय गए और उसमें रखी राशि सहित अपना बटुआ लिया. पेडलकर ने बताया, ‘‘उस समय मेरे बटुए में 900 रुपये थे जिसमें 500 रुपये का पुराना नोट भी था जो बाद में विमुद्रीकरण के बाद बंद हो गया. वाशी जीआरपी ने मुझे 300 रुपये वापस कर दिए. उन्होंने स्टाम्प पेपर के काम के लिए 100 रुपये काट लिए और कहा कि बाकी के 500 रुपये नोट बदलने के बाद मिल जाएंगे.''
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जीआरपी के एक अधिकारी ने कहा कि पेडलकर का बटुआ चुराने वालों को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया गया था.
(इनपुट भाषा से)
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