सुप्रीम कोर्ट में सोमवार का दिन सभी न्यायाधीशों के लिए भावुक करने वाले रहा. दरअसल, सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों में एक एमआर शाह रिटायर हो रहे थे. उनके रियाटरमेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक खास कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में CJI समेत तमाम वरिष्ठ जज भी शामिल हुए. जस्टिस एमआर शाह CJI डी वाई चंद्रचूड़ के खास दोस्त और बेहद करीबी माने जाते हैं. ऐसे में जस्टिस शाह के रिटायरमेंट पर CJI भी भावुक हो गए. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने इस मौके पर दिए अपने संबोधन में कहा कि मुकेश भाई आप बहुत याद आओगे. मैं आप सभी को बता दूं कि मैं अपने दोस्त मुकेश शाह को हर सुबह 'टाइगर शाह' कहता हूं. CJI ने इस मौके पर शायराना अंदाज में कहा कि ' आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा, जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा '.
CJI के बेहद खास दोस्त हैं जस्टिस एमआर शाह
बता दें कि CJI चंद्रचूड और जस्टिस मुकेश रसिकभाई शाह के बीच गहरी दोस्ती रही है. दोनों कोविड के समय एक ही बेंच में शामिल थे और दोनों ने कोविड को लेकर ऑक्सीजन व अन्य तैयारी को लेकर कई बार सुनवाई की और आदेश जारी किए. CJI ने विदाई समारोह में कहा कि1998 में वो गुजरात उच्च न्यायालय में जस्टिस शाह से मिले थे. तब दोनों ही वकील थे. तब उनको एक केस में पेश होना था लेकिन वो मुंबई में अपना गाउन भूल गए थे. फिर जस्टिस शाह ने अपनी जूनियर महिला वकील से गाउन दिलाया था. उस दिन वो गाउन मेरे लिए लकी साबित हुआ और मुझे राहत मिल.
"जस्टिस शाह फैसला लिखने में बहुत तेज हैं"
CJI ने कहा कि जस्टिस शाह को लिखने की ललक है. महाराष्ट्र में संविधान पीठ का फैसला 48 घंटे के भीतर मेरे पास वापस आ गया. वह फैसले लिखने में बहुत तेज हैं. उन्होंने तकनीक सीखी है. उनके पास गजब का सेंस ऑफ ह्यूमर भी है. वह कॉलेजियम में एक ठोस सहयोगी रहे हैं. मेरे लिए इनकी सलाह हमेशा बेहतरीन रहीं. CJI ने कहा कि उनका तकिया कलाम करेक्ट है. उन्हें फिल्मों से लेकर हर वैश्विक चीज के बारे में पूरी जानकारी है.
"मैंने अपनी पारी बहुत अच्छी खेली है"
अपने रिटायरमेंट के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस एम आर शाह ने कहा जब मैंने सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश किया तो मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन मैंने धीरे-धीरे सीखा. मैंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में हर चीज का आनंद लिया है. मैंने एक जज के तौर पर बिना किसी डर के अपना कर्तव्य भी निभाया. जब भी मैं न्यायाधीश के रूप में अपना कर्तव्य करता हूं, मेरे दिमाग में केवल मुकदमेबाजी होती है. मेरा मानना है कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है. किसी के व्यक्तिगत जीवन के लिए आवश्यक ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जरूरी है. सम्मान दो और सम्मान लो. मैंने अपनी पारी बहुत अच्छी खेली है. मैं ईश्वर और कर्म में विश्वास करता हूं. मैं केवल 65 वर्ष पूरे कर रहा हूं. मेरे न्यायपालिका के दौरान मैंने बहुत कुछ खोया है लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है अब - यह मेरी चौथी पारी होगी.
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