जबलपुर:
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले के बारे में निर्देश दिए कि एसआईटी मिस्टर एक्स (सायबर एक्सपर्ट प्रशांत पाण्डे) के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। इस संबंध में वह एसटीएफ को निर्देश जारी कर सकती है।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यापम घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की निगरानी के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की तरफ से शुक्रवार को मिस्टर एक्स (सायबर एक्सपर्ट प्रशांत पाण्डे) के दस्तावेजों की प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश की गई।
मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की युगलपीठ में एसआईटी ने सात कारण गिनाते हुए ‘मिस्टर एक्स’ के दस्तावेजों को कूटरचित बताया। अदालत को एसआईटी की तरफ से बताया गया कि जांच को प्रभावित करने के लिए उक्त कूटरचित दस्तावेज तैयार किए गए है।
याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने निर्देश दिए, ‘‘एसआईटी मिस्टर एक्स के खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है। इस संबंध में वह एसटीएफ को निर्देश जारी कर सकती है।’’
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय में कथित सायबर एक्सपर्ट प्रशांत पाण्डे द्वारा मिस्टर एक्स के नाम से दायर याचिका में कहा गया था कि व्यापम घोटाले से संबंधित वास्तविक एक्सल शीट उसके पास है। उसे प्रदेश सरकार एवं एसटीएफ से खतरा है, इसलिए वह वास्तविक एक्सल शीट दिल्ली हाईकोर्ट के हवाले करना चाहता है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि जिस एक्सल शीट के आधार पर जांच हो रही है, वह गलत है। वास्तविक एक्सल शीट के साथ छेड़खानी की गई है। उसका दावा था कि वास्तविक एक्सल शीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, प्रदेश के एक मंत्री और एक महिला मंत्री का नाम है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा था कि व्यापम घोटाले की निगरानी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय कर रहा है, इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए साक्ष्य एवं पेन ड्राइव को याचिका की प्रति के साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सुपुर्द की जाए।
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश खानविलकर और न्यायमूर्ति अराधे की युगलपीठ ने पेन ड्राइव एवं दस्तावेज, याचिका की प्रति के साथ एसआईटी के सुपुर्द करने का निर्देश दिया था।
युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि एसआईटी पेन ड्राइव एवं दस्तावेजों की जांच करे तथा जांच एजेन्सी एसटीएफ से अभिमत लेकर 24 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे। इसके अलावा युगलपीठ ने जांच एजेन्सी एसटीएफ को भी आदेशित किया है कि उसने निगरानी समिति के किन-किन निर्देशों का पालन किया इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश करें।
याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान एसटीएफ की तरफ से जांच रिपोर्ट युगलपीठ के समक्ष पेश की गई। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने बताया कि एसआईटी ने सात कारण गिनाते हुए पेन ड्राइव की एक्सल शीट को कूटरचित बताया है। एसआईटी ने जांच एजेन्सी एसटीएफ के तकनीकी विभाग की प्रस्तुति भी देखी थी।
इसके अलावा एसटीएफ की तरफ से निगरानी समिति की किन-किन सिफारिशों का पालन किया गया, इस संबंध में 72 पृष्ठ की रिपोर्ट आज पेश की गई है। इस रिपोर्ट पर युगलपीठ ने सुनवाई की तिथि 27 अप्रैल निर्धारित की है।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यापम घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की निगरानी के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की तरफ से शुक्रवार को मिस्टर एक्स (सायबर एक्सपर्ट प्रशांत पाण्डे) के दस्तावेजों की प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश की गई।
मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की युगलपीठ में एसआईटी ने सात कारण गिनाते हुए ‘मिस्टर एक्स’ के दस्तावेजों को कूटरचित बताया। अदालत को एसआईटी की तरफ से बताया गया कि जांच को प्रभावित करने के लिए उक्त कूटरचित दस्तावेज तैयार किए गए है।
याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने निर्देश दिए, ‘‘एसआईटी मिस्टर एक्स के खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है। इस संबंध में वह एसटीएफ को निर्देश जारी कर सकती है।’’
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय में कथित सायबर एक्सपर्ट प्रशांत पाण्डे द्वारा मिस्टर एक्स के नाम से दायर याचिका में कहा गया था कि व्यापम घोटाले से संबंधित वास्तविक एक्सल शीट उसके पास है। उसे प्रदेश सरकार एवं एसटीएफ से खतरा है, इसलिए वह वास्तविक एक्सल शीट दिल्ली हाईकोर्ट के हवाले करना चाहता है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि जिस एक्सल शीट के आधार पर जांच हो रही है, वह गलत है। वास्तविक एक्सल शीट के साथ छेड़खानी की गई है। उसका दावा था कि वास्तविक एक्सल शीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, प्रदेश के एक मंत्री और एक महिला मंत्री का नाम है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा था कि व्यापम घोटाले की निगरानी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय कर रहा है, इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए साक्ष्य एवं पेन ड्राइव को याचिका की प्रति के साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सुपुर्द की जाए।
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश खानविलकर और न्यायमूर्ति अराधे की युगलपीठ ने पेन ड्राइव एवं दस्तावेज, याचिका की प्रति के साथ एसआईटी के सुपुर्द करने का निर्देश दिया था।
युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि एसआईटी पेन ड्राइव एवं दस्तावेजों की जांच करे तथा जांच एजेन्सी एसटीएफ से अभिमत लेकर 24 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे। इसके अलावा युगलपीठ ने जांच एजेन्सी एसटीएफ को भी आदेशित किया है कि उसने निगरानी समिति के किन-किन निर्देशों का पालन किया इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश करें।
याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान एसटीएफ की तरफ से जांच रिपोर्ट युगलपीठ के समक्ष पेश की गई। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने बताया कि एसआईटी ने सात कारण गिनाते हुए पेन ड्राइव की एक्सल शीट को कूटरचित बताया है। एसआईटी ने जांच एजेन्सी एसटीएफ के तकनीकी विभाग की प्रस्तुति भी देखी थी।
इसके अलावा एसटीएफ की तरफ से निगरानी समिति की किन-किन सिफारिशों का पालन किया गया, इस संबंध में 72 पृष्ठ की रिपोर्ट आज पेश की गई है। इस रिपोर्ट पर युगलपीठ ने सुनवाई की तिथि 27 अप्रैल निर्धारित की है।
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