विज्ञापन
This Article is From Mar 27, 2025

MP: वकील के 'तमाशा चल रहा है' बयान से HC नाराज, बताया इसे ‘अपमानजनक और अवमाननापूर्ण’

न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘अपीलकर्ता के वकील द्वारा दिए गए बयान के आलोक में, यह स्पष्ट है कि वह इस न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक और अवमाननापूर्ण टिप्पणी कर रहे हैं, इसलिए यह उचित होगा कि इस आदेश की प्रमाणित प्रति माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उनके अवलोकन और आवश्यक कार्रवाई के लिए रखी जाए.’’

MP: वकील के 'तमाशा चल रहा है' बयान से HC नाराज, बताया इसे ‘अपमानजनक और अवमाननापूर्ण’
(फाइल फोटो)
जबलपुर:

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान एक वकील की ‘‘अदालत में तमाशा चल रहा है'' टिप्पणी पर नाराजगी जताई और इस ‘‘अपमानजनक और अवमाननापूर्ण टिप्पणी'' के मुद्दे को विचार के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया. अपीलकर्ताओं का पक्ष रख रहे अधिवक्ता पी.सी. पालीवाल ने मामले की धीमी प्रगति पर निराशा व्यक्त की और टिप्पणी की कि ‘‘अदालत में चार घंटे तक तमाशा चलता रहा, जबकि वह केवल देख रहे हैं.''

मामले की सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने टिप्पणियों को गंभीरता से लिया. न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘अपीलकर्ता के वकील द्वारा दिए गए बयान के आलोक में, यह स्पष्ट है कि वह इस न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक और अवमाननापूर्ण टिप्पणी कर रहे हैं, इसलिए यह उचित होगा कि इस आदेश की प्रमाणित प्रति माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उनके अवलोकन और आवश्यक कार्रवाई के लिए रखी जाए.''

उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, अधिवक्ता पालीवाल ने न्यायिक रिक्तियों और लंबित मामलों पर टिप्पणी करते हुए अपनी आलोचना जारी रखी. आदेश में कहा गया है, ‘‘अपीलकर्ताओं के वकील ने काफी समय तक बहस की और फिर उनके शब्द थे: ‘इस अदालत में पिछले चार घंटों से तमाशा चल रहा है, मैं बैठकर देख रहा हूं'.''

आदेश में अधिवक्ता के हवाले से कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अन्य जगहों पर जाकर कहते हैं कि नए जजों की नियुक्ति करो, लेकिन जजों की हालत देखिए. दिल्ली में जो हुआ, उसे भी देखना चाहिए. यहां लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और हमें परेशान किया जा रहा है.''

एकल पीठ द्वारा 22 मार्च को जारी आदेश में अधिवक्ता के हवाले से कहा गया, ‘‘मैं आज शाम को जाऊंगा और (मुख्यमंत्री) मोहन यादव को बताऊंगा. यह मामला 20 बार दायर किया गया है और बड़ी मुश्किल से आज सूचीबद्ध हुआ है. मैं यहां अपना मामला नहीं रखना चाहता. मेरा मामला किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाए.''

पालीवाल ने बताया कि वह राजहंस बागड़े और विजय की जमानत याचिका पर बहस कर रहे थे, जिन्होंने निचली अदालत के 30 नवंबर के फैसले के खिलाफ अपील की थी. उन्होंने बताया कि निचली अदालत ने मारपीट के एक मामले में उनके मुवक्किलों को चार साल कारवास की सजा सुनाई.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com