मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने ऐलान किया है जिन लोगों की कोरोना की दूसरी लहर में मौतें हुई है, उनके परिजनों को एक लाख रुपए की अनुग्रह राशि मिलेगी, बच्चों की पढ़ाई मुफ्त होगी और हर माह 5 हजार रुपये की मदद मिलेगी. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि सरकार के आंकड़ों और विश्रामघाट, कब्रिस्तान के आंकड़ों में काफी अंतर है. ऐसे में बाकी के मृतकों के परिजनों को राशि कैसे मिलेगी, दूसरी बात यह कि निजी अस्पतालों में हुई मृत्यु के बाद नगरपालिका से जारी डेथ सर्टिफिकेट में कई जगहों पर ''कोरोना'' का जिक्र नहीं है, ऐसे में लाभार्थी का निर्धारण कैसे होगा. 10वीं में पढ़ने वाले हनुशीष के पिता गिरीश की मौत 18 अप्रैल को भोपाल में हुई. सरकारी पीजी कॉलेज में असिटेंट प्रोफेसर मां दिव्या अगले दिन बैतूल में चल बसीं. हनुशीष खुद भी संक्रमित हुए. जब वह ठीक हुए तो चाचा के साथ माता-पिता मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटके.
VIDEO: कोरोना कर्फ्यू के बीच बर्थडे पार्टी, भीड़ जुटाने के लिए हुई 'शोले' की शूटिंग, लहराए हथियार
भोपाल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से जो प्रमाण पत्र दिया गया, उसमें मौत की वजह का जिक्र नहीं है. अब हनुशीष के पास ये साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है कि उसके पिता की मौत कोविड से हुई है. वे कहते हैं, 'अस्पताल ने जो सर्टिफिकेट दिया कोविड पॉजिटिव बताया, विश्रामघाट में भी कोरोना बताया, नगर निगम में दोनों सर्टिफिकेट जमा कर लिए और सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र दे दिया. मेरी मांग है कि सरकार हमें मृत्यु प्रमाणपत्र में लिखकर दे कि कोरोना से निधन हुआ है नहीं तो सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.
16 year old Hanusheesh lost both his parents to covid he recieved death certificate BUT the certificate does not mention his parents died due to covid.He has no proof and no means to access the govt help promised to children like him orphans of the pandemic @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/iCGd7nvKm9
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 31, 2021
हनुशीष उन हजारों बच्चों में से एक है, जिसे कोरोना की दूसरी लहर ने अनाथ कर दिया है. सरकार ने इनके लिये कई ऐलान करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश में कोरोना से मरने वालों के परिवार को सरकार ने 1 लाख रुपए मुआवजा देगी. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, एक सदस्य को अनुकंपा नौकरी देने का फैसला, जो बच्चे अनाथ हुए हैं उन्हें 5000 प्रति माह पेंशन, बच्चों की शिक्षा का निशुल्क प्रबंध और उन्हें पात्रता न होने पर भी फ्री राशन देने की बात भी कही गई है. मई में अपने ऐलान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'बच्चों को 5000 पेंशन दी जाएगी ताकि उन्हें जीवन यापन के लिये परेशान न होना पड़े, फ्री राशन दिया जाएगा, इन परिवार में कोई सदस्य कोई बहन ऐसी है जो काम धंधा करना चाहे तो सरकार की गारंटी पर बिना ब्याज का कर्ज काम-धंधे के लिये उपलब्ध कराया जाएगा.'
मध्य प्रदेश: बेमौसम बारिश से किसान पर 'मार', खरीदी केंद्रों पर करोड़ों रुपये का गेहूं बर्बाद
मृत्यु प्रमाणपत्र के अलावा भी सरकार के दर्जनों ऐलान पर भी सवाल हैं. मुकेश खरे की पत्नी प्रीति खरे भोपाल के हुजूर तहसील में पटवारी थी, कभी नाके पर चैकिंग तो कभी गांव में कोरोना जांच में लगी रहीं. ड्यूटी निभाते हुए वे पिछले साल नवंबर में कोरोना संक्रमित हुईं. इलाज में 8-9 लाख रुपए खर्च हो गए. तन-मन-धन से टूट गये लेकिन सरकार की कोरोना योद्धाओं के लिये चलाई योजना से कोई लाभ नहीं मिला, मृत्यु प्रमाण पत्र में भी कोरोना नहीं लिखा है. मुकेश कहते हैं, 'मेरी पत्नी गांव में जांच के कोरोना से पीड़ित हुई. 12 नवंबर को भर्ती हुई, वेंटीलेटर पर रहीं और फिर डेथ हो गई. कोरोना योद्धा में कलेक्टर साहब ने काफी कोशिश की लेकिन शासन से निरस्त हो गया. सरकार का कहना है कि योजना 30 अक्टूबर को खत्म हो गई लाभ नहीं मिलेगा. नगर निगम ने अस्पताल और विश्राम घाट के सर्टिफिकेट जमा करा लिया, जो सरकारी डेथ सर्टिफिकेट मिला है उस पर कहीं भी ''कोरोना'' नहीं लिखा था.
Mukesh Khare's wife Priti was a revenue official in Bhopal's Huzoor tehsil on corona duty she died in november last year but her death certificate does not mention #COVID19 as the cause of death and the family is yet to receive any help from the state govt pic.twitter.com/IL0yFpbxze
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 31, 2021
सरकार कह रही है कि योजना मार्च के बाद बनी है. सरकार का यह भी कहना है कि मृत्यु का कारण ''कोरोना'' लिख रहे हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा जिनकी कोरोना से मृत्यु हुई है उनकी ''कोरोना'' ही लिख रहे हैं. ये योजना जो बनी है, मार्च के बाद जो मृत्यु हुई हैं, उनके लिये बनी है, सरकार ने बनाई है. काश मंत्रीजी निजी अस्पतालों में हुई मौत के बाद सरकारी डेथ सर्टिफिकेट देख लेते, बहरहाल कोरोना में सरकारी रिकॉर्ड की मानें तो अब तक पूरे प्रदेश में 8019 मौतें दर्ज हुई हैं. जबकि हकीकत ये है कि अकेले दूसरी लहर में सिर्फ एक जिले यानी राजधानी भोपाल के विश्रामघाट और कब्रिस्तानों में सिर्फ 15 मई तक 4065 मौतें दर्ज हुई, इनका अंतिम संस्कार कोविड नियमों के तहत किया गया.
But the govt says compensation is for those who died in the second wave, pic.twitter.com/mmJBfri5zV
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 31, 2021
एक और बात दिखी कि सरकारी अस्पतालों में मृत्यु होने पर जो प्रमाण-पत्र जारी हो रहे हैं, उनमें टिप्पणी वाले कॉलम में बाकायदा ''कोविड पॉजिटिव'' लिखा जा रहा है. दूसरी ओर, निजी अस्पतालों में हो रही कोविड मौतों के जो प्रमाण-पत्र नगर निगम दे रहा है, उन पर मौत के कारण वाला कॉलम खाली रखा जा रहा है, जबकि निजी अस्पताल सर्टिफिटेकट में ''कोरोना से मौत'' लिख रहे हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं