
- केंद्रीय मंत्री बंडी संजय कुमार ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम में एक हजार से अधिक गैर-हिंदू कर्मचारियों के कार्यरत होने का आरोप लगाया है.
- उन्होंने सवाल किया कि टीटीडी जैसा संगठन जो हिंदू धर्म की पवित्रता को बनाए रखता है, 1000 से ज्यादा गैर-हिंदुओं को काम पर कैसे रख सकता है?
- टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी ने केंद्रीय मंत्री के दावों को चुनौती दी और कहा कि केवल 22 गैर-हिंदू कर्मचारियों की मौजूदगी बताई गई है.
केंद्रीय मंत्री और तेलंगाना भाजपा के प्रमुख नेता बंडी संजय कुमार ने तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के बाद अपनी एक टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया है. भाजपा नेता ने हिंदू देवी-देवताओं और परंपराओं को समर्पित संस्था में अन्य धर्मों के लोगों की मौजूदगी पर सवाल उठाया. उन्होंने आरोप लगाया है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) में वर्तमान में 1,000 से ज्यादा गैर-हिंदू कार्यरत हैं. टीटीडी, तिरुमाला स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाली प्रशासनिक संस्था है.
केंद्रीय मंत्री ने मंदिर की पवित्रता और आध्यात्मिक शुद्धता को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और सवाल किया, "टीटीडी जैसा संगठन जो हिंदू धर्म की पवित्रता को बनाए रखता है, 1,000 से ज्यादा गैर-हिंदुओं को रोजगार पर कैसे रख सकता है?"
'मस्जिदों-मंदिरों में कोई हिंदुओं को रोजगार देता है?'
भाजपा नेता ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए टीटीडी से सभी गैर-हिंदू कर्मचारियों की तुरंत पहचान कर उन्हें हटाने का आग्रह किया है. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि गैर-हिंदुओं को नौकरी देना ना केवल मंदिर की आध्यात्मिक परंपराओं का उल्लंघन है, बल्कि दुनिया भर से तिरुमला आने वाले लाखों हिंदू श्रद्धालुओं की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है.
साथ ही उन्होंने पूछा, "क्या मस्जिदों और चर्चों में हिंदुओं को कोई रोजगार देता है?"
हालिया मामले का जिक्र कर उठाए सवाल
भाजपा नेता ने हाल ही में एक ऐसे मामले का जिक्र किया है, जिसमें टीटीडी के सहायक कार्यकारी अधिकारी ए राजशेखर को एक स्थानीय चर्च में नियमित रूप से पूजा करते पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे खुलासे के बाद ही कार्रवाई क्यों की जाती है.
यह पहली बार नहीं है जब टीटीडी में गैर-हिंदुओं की नियुक्ति को लेकर चिंता जताई गई है. पहले भी इसकी आलोचना हुई है, समर्थकों का तर्क है कि इतने महत्वपूर्ण धार्मिक संस्थान में केवल हिंदुओं को ही नियुक्त किया जाना चाहिए.
टीटीडी के सेवा नियमों में 2007 में हुआ था संशोधन
टीटीडी के सेवा नियमों को 2007 में संशोधित किया गया था. यह आम तौर पर गैर-हिंदुओं की नियुक्ति पर रोक लगाते हैं. हालांकि संशोधन से पहले नियुक्त कुछ कर्मचारी अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं.
टीटीडी प्रशासन ने गैर-हिंदू कर्मचारियों की संख्या के बारे में बंडी संजय कुमार के दावों पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है. हालांकि इन आरोपों से बोर्ड पर आंतरिक समीक्षा और मामले में सफाई देने का दबाव बढ़ गया है.
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्व में कहा था कि टीटीडी में गैर-हिंदू कर्मचारियों को अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरित किया जाएगा.
टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्री को दी चुनौती
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी ने टीटीडी में गैर-हिंदुओं की नियुक्ति के संबंध में बंडी संजय कुमार की टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और केंद्रीय मंत्री को 1,000 से अधिक गैर-हिंदू कर्मचारियों के अपने दावे के पक्ष में सबूत पेश करने की चुनौती दी है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान टीटीडी बोर्ड ने हाल ही में कहा था कि केवल 22 गैर-हिंदू कर्मचारी हैं. भुमना करुणाकर रेड्डी ने संदेह व्यक्त किया कि बंडी संजय की टिप्पणियों के पीछे तिरुमाला श्रीवारी मंदिर की पवित्रता को कम करने की साजिश हो सकती है. उन्होंने बंदी संजय के बयानों के संबंध में "गठबंधन सरकार" से स्पष्टीकरण मांगा.
टीटीडी के मौजूदा नियम यह अनिवार्य करते हैं कि केवल हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति ही टीटीडी सेवा में भर्ती के पात्र हैं और कर्मचारियों को हिंदू धर्म और परंपराओं का पालन करना होगा. टीटीडी बोर्ड ने गैर-हिंदू कर्मचारियों को आंध्र प्रदेश सरकार के अन्य विभागों में स्थानांतरित करने या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजनाएं प्रदान करने के लिए भी कदम उठाए हैं.
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