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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा न देने की नीति जारी रखने संबंधी किसी पर पत्र हस्ताक्षर किए जाने का खंडन करते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि ऐसा लगता है, जो किया गया, वह ‘कट पेस्ट’ वाला प्रयास था।
येचुरी ने एक बयान में कहा, मैं इस बात से साफ इनकार करता हूं कि मैंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किया है। किसी एक देश की संप्रभुता के दायरे में आने वाले मुद्दे पर दूसरे किसी संप्रभु देश से कुछ कहना न तो मेरे चरित्र में है और न ही यह मेरी पार्टी माकपा का सिद्धांत है।
माकपा नेता ने कहा, ‘एक सिद्धांत के तहत हम भारत के अंदरूनी मामले में, उसकी संप्रभुता को कमजोर करने वाले किसी भी बाहरी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करते हैं और उसकी निंदा करते हैं। येचुरी का बयान इन खबरों के संदर्भ में आया है कि वह उन 65 संसद सदस्यों में से एक हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा को पत्र लिखकर, अमेरिकी प्रशासन की मोदी को वीजा न देने की वर्तमान नीति जारी रखने का आग्रह किया था।
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि इस बात की विस्तृत जांच होनी चाहिए कि भारतीय सांसदों ने गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी चुनाव समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा न देने का अनुरोध करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को खत भेजा था या नहीं। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, आधे से अधिक सांसदों ने (जिनके दस्तखत हैं) ऐसी किसी चिट्ठी लिखने से इनकार किया है। जिन लोगों ने नकली दस्तखत किए, उन्हें पकड़ना जरूरी है। सीताराम येचुरी के बाद डीएमके के सांसद केपी रामालिंगम ने भी उनके जाली दस्तखत किए जाने का दावा किया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संजीव नाइक का कहना है कि उन्हें गलती से राज्यसभा सांसद के रूप में दिखाया गया है।
उधर, राज्यसभा के सदस्य मोहम्मद अदीब जोर देकर कहते हैं कि यह चिट्ठी प्रामाणिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि येचुरी जैसे सासंद अपनी पार्टी के दबाव में झुक रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में जांच का स्वागत करते हैं। अदीब ने कहा कि साथियों को धोखा देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए और उन्हें संसद से हटा देना चाहिए।
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