दक्षिण पश्चिम मॉनसून जून महीने में ज्यादातर दक्षिणी राज्यों और बिहार से रुठा रहा, जबकि इसने राजस्थान और देश के अन्न भंडार कहे जाने वाले राज्यों, पंजाब एवं हरियाणा में वर्षा ऋतु के पहले महीने में अच्छी-खासी बारिश की है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, मॉनसून के मौसम के पहले महीने में 29 जून तक देश में 136.5 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई, जो सामान्य रूप से होने वाली बारिश 157 मिमी से 13 प्रतिशत कम है.
बिहार और केरल, ऐसे दो राज्य हैं जहां जून में बहुत कम बारिश हुई, जो इस अवधि के लिए सामान्य से क्रमश: 69 प्रतिशत और 60 प्रतिशत कम है. बिहार में जून में 47.5 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य रूप से 151.1 मिमी बारिश होती है। वहीं, केरल में मौसम की सामान्य बारिश 621.9 मिमी की तुलना में महज 251.1 मिमी बारिश हुई. तमिलनाडु में आमतौर पर उत्तर-पूर्वी मॉनसून से बारिश होती है, लेकिन जून महीने में 51.5 मिमी सामान्य बारिश की तुलना में 49.3 मिमी बारिश हुई है.
दक्षिण पश्चिम मॉनसून के केरल पहुंचने में देर हुई और आठ जून को राज्य में इसका आगमन हुआ. उसी समय अरब सागर में बने चक्रवात बिपारजॉय का भी इस पर प्रभाव पड़ा. चक्रवात के 15 जून को गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों के बीच तट से टकराने के बाद मॉनसून तेजी से आगे बढ़ा. बृहस्पतिवार शाम मौसम विभाग द्वारा जारी विस्तारित क्षेत्र पूर्वानुमान (ईआरएफ) में कहा गया है कि अगले दो दिन में देश के शेष हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल स्थिति है.
प्रायद्वीपीय भारत में अगले हफ्ते मॉनसून के जोर पकड़ने, लेकिन उत्तर-पश्चिम भारत तथा गुजरात के हिस्सों में बारिश में कमी आने की संभावना है. क्षेत्र में जून में, राजस्थान और दिल्ली में सामान्य से दोगुनी बारिश हुई. एक जून से 29 जून के बीच, राजस्थान में 50.7 मिमी सामान्य बारिश की तुलना में 145.9 मिमी बारिश हुई। वहीं, दिल्ली में 60.4 मिमी की तुलना में 126 मिमी बारिश हुई.
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