संसद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को डाक या ई वैलेट के जरिये मतदान की अनुमति देने के लिए चुनाव कानून में संशोधन वाला विधेयक पेश किया जाएगा.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केन्द्र की दलीलों पर विचार किया और उसके इस अनुरोध को स्वीकार किया कि एनआरआई के लिए मताधिकार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की जाए.
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केन्द्र की ओर से पेश वकील पी के डे ने इस आधार पर छह महीने का स्थगनादेश मांगा कि विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाए. हालांकि पीठ ने सुनवाई 12 हफ्तों के लिए स्थगित की.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 21 जुलाई को अदालत से कहा था कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत दिये नियमों में बदलाव करके एनआरआई को मतदान की अनुमति नहीं दी जा सकती और मताधिकार के लिए कानून में संशोधन हेतु संसद में विधेयक पेश करने की जरूरत है.
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अदालत ने 14 जुलाई को केन्द्र से इस बारे में फैसला करने को कहा था कि वह एनआरआई को डाक या ई वैलेट से मतदान की अनुमति के लिए चुनाव कानून या नियम में बदलाव करेगा या नहीं.
VIDEO - प्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग की मंजूरी से उठे सवाल
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केन्द्र की दलीलों पर विचार किया और उसके इस अनुरोध को स्वीकार किया कि एनआरआई के लिए मताधिकार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की जाए.
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केन्द्र की ओर से पेश वकील पी के डे ने इस आधार पर छह महीने का स्थगनादेश मांगा कि विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाए. हालांकि पीठ ने सुनवाई 12 हफ्तों के लिए स्थगित की.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 21 जुलाई को अदालत से कहा था कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत दिये नियमों में बदलाव करके एनआरआई को मतदान की अनुमति नहीं दी जा सकती और मताधिकार के लिए कानून में संशोधन हेतु संसद में विधेयक पेश करने की जरूरत है.
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