केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कई बैंकों के आपस में विलय का ऐलान किया. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यूनाइटेड बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और पंजाब नेशनल बैंक का विलय होगा. दूसरी तरफ, केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का भी आपस में विलय किया जाएगा. इसी तरह यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का भी विलय किय़ा जाएगा. इंडिय़न बैंक और इलाहाबाद बैंक का भी आपस में विलय होगा. केंद्र सरकार के इस बड़े ऐलान के साथ ही अब देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी. निर्मला सीतारमण के इस ऐलान के बाद मोदी सरकार बैंकिंग क्षेत्र में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के 'ब्लू-प्रिंट' पर आगे बढ़ती दिख रही है. सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली देश में चुनिंदा बैंकों के पक्ष में थे.
क्या था अरुण जेटली का तर्क
पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली का तर्क था कि बैंकिंग क्षेत्र में मितव्ययिता के साथ काम करने के लिये देश को गिने-चुने लेकिन बड़े बैंकों की आवश्यकता है. उनका कहना था कि भारत को गिने-चुने बड़े बैंकों की जरूरत है जो हर मायने में मजबूत हों. कर्ज की दर से लेकर बड़े पैमाने की मितव्ययिता के अनुकूलतम उपयोग तक में इसका लाभ उठाने में मदद मिलेगी. आपको बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के 2017 में विलय के बाद मोदी सरकार ने अरुण जेटली के वित्त मंत्री रहते ही देना बैंक, विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दी थी.
नई घोषणा के बाद क्या होगा बदलाव
केंद्र सरकार की घोषणा के मुताबिक PNB, ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का आपस में विलय होगा और ये पंजाब नेशनल बैंक के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का विलय होगा औऱ ये केनरा बैंक के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक के विलय के बाद इसका नाम यूनियन बैंक होगा. वहीं, इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक के विलय के बाद इसका नाम इंडियन बैंक होगा.
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