Farmer Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का धरना आज छठें दिन में प्रवेश कर गया
Farmer Protest: किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे हुए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार यानी कि आज बातचीत के लिये आमंत्रित किया है. गौरतलब है कि लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं. केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना आज छठवें दिन में प्रवेश कर गया है. इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा. केंद्रीय कृषि मंत्री कोरोना वायरस महामारी और सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के लिये आने का न्यौता दिया है.’’ उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर बाद तीन बजे बुलायी गयी है. उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है.
Farmer Protest: अब तक क्या-क्या हुआ
Farmer Protest: कृषि कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए दोपहर तीन बजे का समय तय किया है. उससे पहले आज सुबह 10.30 बजे बीजेपी अध्ययक्ष जेपी नड्डा के घर एक अहम बैठक होने रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में किसानों के मुद्दे पर मंथन किया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार किसानों के साथ बातचीत की जिम्मेदारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को दी गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह आज बातचीत के लिये बुलाया है. यह बैठक दोपहर 3 बजे होगी.
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर एक दिसंबर को चर्चा के लिये आमंत्रित किया है. अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा है उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्मुहारी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं.
दिल्ली की दो सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों का समर्थन करने के लिए पंजाब से और भी किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं. किसान संगठनों ने कहा कि अमृतसर (Amritsar) क्षेत्र से और भी किसान जो कि गुरु पर्व के लिए रुक गए थे, वो निकल पड़े हैं और मंगलवार तक उनके यहां पहुंचने की उम्मीद है. प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश के पांचों रास्ते ब्लॉक करने की धमकी दी है.
सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कृषि किसानों के प्रदर्शन को रोकते हुए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं और हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के सभी बिंदुओं पर अवरोधक लगाए गए हैं. सिंघु और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है. यहां पंजाब और हरियाणा के किसान लगातार छठवें दिन जमा हैं. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है. किसानों द्वारा सरकार की वार्ता की पेशकश ठुकरा दिए जान के 24 घंटे के भीतर दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात थी.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने को कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष को ‘न्यायपूर्ण' बताते हुये केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह किसानों की आवाज क्यों नहीं सुन रही है और इस मुद्दे पर उसका हठी रवैया क्यों है. सिंह ने दोहराया कि उनकी सरकार इन ‘काले कानूनों' के खिलाफ किसानों के साथ खड़ी रहेगी.
ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो वे हड़ताल पर जाएंगे. युनियन के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी दी. यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर ने कहा कि वे किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें दो दिन का समय दे रहे हैं.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानूनों का बचाव किया और विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि वे सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं. नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों पर हमला करते हुए सोमवार को कहा कि ‘‘छल का इतिहास रखने वाले लोग'' नए ‘‘ट्रेंड'' के तहत पिछले कुछ समय से सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव में ‘छह लेन मार्ग चौड़ीकरण' के लोकार्पण अवसर पर संबोधन में कहा, ''''पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उनको आधार बनाया जा रहा है.''''