प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
एक अहम फैसले में मोदी कैबिनेट ने ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2016 को मंज़ूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की एक अहम बैठक में ये फैसला लिया गया।
इस बिल में नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिसके जरिए सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए पहल करने का प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों के ज़रिए ट्रांसजेंडर समुदाय को मेन स्ट्रीम सोसाइटी में लाने की तैयारी है। इसमें भारत सरकार और राज्य सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिए नए मापदंड भी शामिल किए गए हैं।
दरअसल, ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण संबंधी विधेयक को एक साल पहले राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐसे व्यक्तियों को भेदभाव से बचाने के लिए इसी तरह के एक कानून का रास्ता साफ कर दिया।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 'इस विधेयक के जरिए सरकार ने उनके (ट्रांसजेंडरों के) सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए एक तंत्र विकसित किया है। विधेयक से बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडरों को लाभ पहुंचेगा, उन्हें लांछन, भेदभाव से बचाने और हाशिये पर मौजूद इस वर्ग के खिलाफ र्दुव्यवहार में कमी लाने तथा समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी।' देश में ट्रांसजेडर समुदाय सबसे अधिक हाशिये पर खड़ा समुदाय है, क्योंकि वे 'पुरूषों' या 'महिलाओं' के पारंपरिक लैंगिक वर्ग में फिट नहीं बैठते।
यह निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा सांसद तिरूची शिवा ने पेश किया था, जिसे राज्यसभा ने 24 अप्रैल 2015 को मंजूरी दी थी। 45 वर्ष में यह पहली बार था, जब सदन ने किसी निजी सदस्य विधेयक को मंजूरी दी थी। सरकार भी सदन को आश्वस्त करेगी कि वह व्यापक विचार-विमर्श के बाद लोकसभा में अपना स्वयं का विधेयक पेश करेगी।
इस बिल में नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिसके जरिए सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए पहल करने का प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों के ज़रिए ट्रांसजेंडर समुदाय को मेन स्ट्रीम सोसाइटी में लाने की तैयारी है। इसमें भारत सरकार और राज्य सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिए नए मापदंड भी शामिल किए गए हैं।
दरअसल, ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण संबंधी विधेयक को एक साल पहले राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐसे व्यक्तियों को भेदभाव से बचाने के लिए इसी तरह के एक कानून का रास्ता साफ कर दिया।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 'इस विधेयक के जरिए सरकार ने उनके (ट्रांसजेंडरों के) सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए एक तंत्र विकसित किया है। विधेयक से बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडरों को लाभ पहुंचेगा, उन्हें लांछन, भेदभाव से बचाने और हाशिये पर मौजूद इस वर्ग के खिलाफ र्दुव्यवहार में कमी लाने तथा समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी।' देश में ट्रांसजेडर समुदाय सबसे अधिक हाशिये पर खड़ा समुदाय है, क्योंकि वे 'पुरूषों' या 'महिलाओं' के पारंपरिक लैंगिक वर्ग में फिट नहीं बैठते।
यह निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा सांसद तिरूची शिवा ने पेश किया था, जिसे राज्यसभा ने 24 अप्रैल 2015 को मंजूरी दी थी। 45 वर्ष में यह पहली बार था, जब सदन ने किसी निजी सदस्य विधेयक को मंजूरी दी थी। सरकार भी सदन को आश्वस्त करेगी कि वह व्यापक विचार-विमर्श के बाद लोकसभा में अपना स्वयं का विधेयक पेश करेगी।
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