एमजे अकबर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत में #MeToo अभियान की जद में आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि मामले में आज यानी बुधवार को दिल्ली की एक अदालत में अपना बयान दर्ज कराया. एमजे अकबर ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया. उन्होंने अपने स्टेटमेंट में कहा कि मैं कल्कत्ता के बॉयस स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ा. कॉलेज के बाद मैं पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गया. बहुत कम समय में मैं संडे नामक पत्रिका का संपादक बना. 1983 में मैंने द टेलिग्राफ़ शुरू किया. फिर मैं 1993 तक एशियन ऐज का संपादक रहा. फिर इंडिया टुडे का एडिटोरियल डारेक्टर रहा. फिर संडे गार्डियन का फ़ाउंडिंग एडिटर रहा. इसके साथ ही मैंने कई किताबें लिखीं (कोर्ट में अपनी लिखीं किताबें पेश कीं ).
आगे उन्होंने कहा कि मैं हेडलाइंस टुडे का एडिटोरियल डायरेक्टर रहा. मैं इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हूं. मैं 2014 में राजनीति में आया मुझे बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. 2015 में मुझे झारखंड से राज्यसभा सांसद बनाया गया फिर 2016 में मुझे मध्य प्रदेश से संसद भेजा गया. मुझे फिर प्रधानमंत्री मोदी की काबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर काम करने का अवसर दिया गया. मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुक़द्दमा किया है. उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ श्रंखलाबद्ध ट्वीट किए.
उन्होंने कहा कि मेरी अच्छी साख और नाम को डीफ़ेम करने के लिए जानबूझकर प्रिया रमानी ने मुझ पर झूंठे और आधारहीन आरोप लगाए. इन झूंठे आरोपों से मुझे काफ़ी धक्का लगा जो कि कथित तौर पर 20 साल पुराने हैं. इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय आया हूं. मैंने इसलिए राज्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. आम लोगों, मेरे क़रीबी लोगों की नज़रों में मेरी साख गिरी है. मेरे द्वारा कही गईं सारी बाते सत्य हैं और मुझ पर लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं.
दरअसल, 18 अक्टूबर को मामले की सुनवाई में एमजे अकबर कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए थे. अगर अदालत एमजे अकबर के बयान से संतुष्ट हो जाती है तो फिर कोर्ट के सामने पेश होने के लिए पत्रकार प्रिया रमानी को नोटिस भेजा जाएगा. बता दें कि 18 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एम.जे. अकबर के आपराधिक मानहानि मुकदमे को स्वीकार कर लिया और कहा कि 31 अक्टूबर को भाजपा नेता का बयान दर्ज किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने कहा, "मैं आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अपराध का संज्ञान लेता हूं." अब मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगा.
पिछली सुनवाई में एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने मामले में अपना पक्ष रखा. लूथरा ने अदालत से मानहानि मुकदमे को संज्ञान में लेने और महिला पत्रकार के खिलाफ मामला शुरू करने का आग्रह किया. अकबर ने रमानी के विरुद्ध मानहानि के आरोपों को साबित करने के लिए दो महिला पत्रकारों द संडे गार्जियन की संपादक जॉयिता बसु और पत्रकार वीनू संदल और चार अन्य को अपने गवाहों के तौर पर नाम दाखिल किए हैं.
#MeToo के आरोपों से घिरे एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा, मानहानि केस में आज सुनवाई, मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें
बता दें कि अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप सबसे पहले प्रिया रमानी ने लगाया था. अकबर ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा कि प्रिया रमानी के अपमानजनक बयान से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है और लोगों की नजर में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. लूथरा ने अदालत से कहा कि रमानी के विवादास्पद ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट ने गत 40 वर्षो में बनी उनकी छवि को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है.
कांग्रेस ने एमजे अकबर के इस्तीफे को 'सच की जीत' बताया, AAP ने दिया यह बयान, जानिये किसने क्या कहा...
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में छपे लेखों में रमानी के ट्वीट का उल्लेख किया गया है. ये ट्वीट अकबर की मानहानि साबित करते हैं, जबतक वह उनके विरुद्ध कुछ साबित नहीं कर देती." 'द एशियन एज' अखबार के संपादक रहे अकबर वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. कई महिला पत्रकारों ने उनके संपादक रहने के दौरान उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
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अकबर ने इन आरोपों को 'फर्जी और आधारहीन' बताया है. इस्तीफा देने की विपक्ष की मांग कई दिनों तक ठुकराने के बाद अकबर ने बुधवार को विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वह निजी क्षमता से कानूनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं.
VIDEO: पुलिस रिमांड पर आशीष पांडे, 31 अक्टूबर को बयान दर्ज कराएंगे अकबर
आगे उन्होंने कहा कि मैं हेडलाइंस टुडे का एडिटोरियल डायरेक्टर रहा. मैं इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हूं. मैं 2014 में राजनीति में आया मुझे बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. 2015 में मुझे झारखंड से राज्यसभा सांसद बनाया गया फिर 2016 में मुझे मध्य प्रदेश से संसद भेजा गया. मुझे फिर प्रधानमंत्री मोदी की काबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर काम करने का अवसर दिया गया. मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुक़द्दमा किया है. उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ श्रंखलाबद्ध ट्वीट किए.
उन्होंने कहा कि मेरी अच्छी साख और नाम को डीफ़ेम करने के लिए जानबूझकर प्रिया रमानी ने मुझ पर झूंठे और आधारहीन आरोप लगाए. इन झूंठे आरोपों से मुझे काफ़ी धक्का लगा जो कि कथित तौर पर 20 साल पुराने हैं. इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय आया हूं. मैंने इसलिए राज्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. आम लोगों, मेरे क़रीबी लोगों की नज़रों में मेरी साख गिरी है. मेरे द्वारा कही गईं सारी बाते सत्य हैं और मुझ पर लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं.
दरअसल, 18 अक्टूबर को मामले की सुनवाई में एमजे अकबर कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए थे. अगर अदालत एमजे अकबर के बयान से संतुष्ट हो जाती है तो फिर कोर्ट के सामने पेश होने के लिए पत्रकार प्रिया रमानी को नोटिस भेजा जाएगा. बता दें कि 18 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एम.जे. अकबर के आपराधिक मानहानि मुकदमे को स्वीकार कर लिया और कहा कि 31 अक्टूबर को भाजपा नेता का बयान दर्ज किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने कहा, "मैं आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अपराध का संज्ञान लेता हूं." अब मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगा.
पिछली सुनवाई में एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने मामले में अपना पक्ष रखा. लूथरा ने अदालत से मानहानि मुकदमे को संज्ञान में लेने और महिला पत्रकार के खिलाफ मामला शुरू करने का आग्रह किया. अकबर ने रमानी के विरुद्ध मानहानि के आरोपों को साबित करने के लिए दो महिला पत्रकारों द संडे गार्जियन की संपादक जॉयिता बसु और पत्रकार वीनू संदल और चार अन्य को अपने गवाहों के तौर पर नाम दाखिल किए हैं.
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बता दें कि अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप सबसे पहले प्रिया रमानी ने लगाया था. अकबर ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा कि प्रिया रमानी के अपमानजनक बयान से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है और लोगों की नजर में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. लूथरा ने अदालत से कहा कि रमानी के विवादास्पद ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट ने गत 40 वर्षो में बनी उनकी छवि को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है.
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उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में छपे लेखों में रमानी के ट्वीट का उल्लेख किया गया है. ये ट्वीट अकबर की मानहानि साबित करते हैं, जबतक वह उनके विरुद्ध कुछ साबित नहीं कर देती." 'द एशियन एज' अखबार के संपादक रहे अकबर वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. कई महिला पत्रकारों ने उनके संपादक रहने के दौरान उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
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अकबर ने इन आरोपों को 'फर्जी और आधारहीन' बताया है. इस्तीफा देने की विपक्ष की मांग कई दिनों तक ठुकराने के बाद अकबर ने बुधवार को विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वह निजी क्षमता से कानूनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं.
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