एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (Association for Democratic Reform) ने मंगलवार को मिजोरम विधानसभा चुनाव (Mizoram Assembly Elections) लड़ रहे उम्मीदवारों को लेकर अपनी एक रिपोर्ट दी है, जिसमें कहा गया है कि 174 उम्मीदवारों में से केवल सात या चार प्रतिशत ने अपने हलफनामों में आपराधिक मामलों की घोषणा की है. इन सभी सातों उम्मीदवारों ने "गंभीर" आपराधिक मामले घोषित किए हैं. 2018 के चुनाव में 209 विधायक उम्मीदवार थे, जिनमें से नौ को आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ा. इन नौ में से चार पर "गंभीर" मामले थे.
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को "गैर-मान्यता प्राप्त" दलों - स्थानीय या क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों ने मैदान में उतारा है. इन्होंने राज्य भर में 40 उम्मीदवार खड़े किए हैं और इनमें से चार ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले स्वीकार किए हैं.
राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों ने 67 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं और दो ने "गंभीर" आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि राज्य स्तरीय पार्टियों ने 40 उम्मीदवार खड़े किए हैं और केवल एक ने "गंभीर" आपराधिक मामला घोषित किया है.
मिजोरम चुनाव में 27 निर्दलीय उम्मीदवार हैं और किसी ने भी अपने खिलाफ गंभीर या अन्य आपराधिक मामलों की घोषणा नहीं की है.
आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले सबसे अधिक उम्मीदवारों वाली पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट है, जिसके 40 विधायक उम्मीदवारों में से चार या 10 प्रतिशत पर आपराधिक मामले हैं.
भाजपा के 23 उम्मीदवारों में से दो पर आपराधिक मामले हैं, वहीं सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसके एक उम्मीदवार ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
मुख्यमंत्री जोरमथांगा की एमएनएफ भी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है.
कांग्रेस के 40 उम्मीदवारों में से किसी ने भी अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित नहीं किए हैं.
2018 के सर्वेक्षण में कांग्रेस के तीन नेताओं ने ऐसे मामलों को स्वीकार किया था. वहीं एमएनएफ के तीन, भाजपा के दो और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी ऐसे मामलों को स्वीकार किया था.
"गंभीर" आपराधिक मामलों को इस तरह से समझिएएडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके मानदंडों में ऐसे अपराध शामिल हैं जिनके लिए अधिकतम संभावित सजा पांच साल या उससे अधिक है. इनमें हत्या, अपहरण या बलात्कार से संबंधित अपराध और महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं. साथ ही इसमें गैर-जमानती अपराध, चुनावी अपराध और भ्रष्टाचार से संबंधित अपराध भी शामिल हैं.
मार्च 2020 में चुनाव आयोग ने इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी राजनीतिक दलों (केंद्र और राज्य) के लिए लंबित आपराधिक मामलों वाले किसी भी उम्मीदवार के बारे में जनता के साथ विस्तृत जानकारी साझा करना अनिवार्य कर दिया था. इसके अलावा, पार्टियों को यह भी बताना था कि उन्होंने "आपराधिक पृष्ठभूमि वाले" उम्मीदवारों को क्यों चुना और अन्य को क्यों नहीं चुना जा सका.
ये विवरण एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के साथ संबंधित पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित किए जाने थे और चुनाव पैनल को एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी.
मिजोरम में 66 फीसदी उम्मीदवार हैं 'करोड़पति'एक ओर राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों में विधायक पद के उम्मीदवारों में सबसे अधिक 43 'करोड़पति' हैं, इसके बाद राज्य स्तरीय पार्टियों से 36 और "गैर-मान्यता प्राप्त" संगठनों से 29 करोड़पति उम्मीदवार हैं. 27 निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल छह ने खुद को 'करोड़पति' घोषित किया है. इसके मुताबिक, इस चुनाव में कुल उम्मीदवारों में से 114, या आश्चर्यजनक रूप से 66 प्रतिशत 'करोड़पति' हैं. मिजोरम चुनाव में उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 4.9 करोड़ रुपये है.
मिजोरम में नई सरकार के लिए एक ही चरण में आज मतदान होना है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान के साथ ही मिजोरम के नतीजे भी 3 दिसंबर को आएंगे.
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