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This Article is From Jun 04, 2025

वन महोत्सव सप्ताह में MHADA लगाएगी दो लाख पौधे, मुंबई के अनुपयोगी प्लॉट्स पर उगेंगे शहरी जंगल

मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में जमीन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए MHADA ने तय किया है कि जहां कोई निर्माण कार्य संभव नहीं है जैसे अनुपयोगी या अनुपलब्ध प्लॉट्स, उन्हें हरे-भरे शहरी जंगलों में बदला जाएगा.

वन महोत्सव सप्ताह में MHADA लगाएगी दो लाख पौधे, मुंबई के अनुपयोगी प्लॉट्स पर उगेंगे शहरी जंगल
मुंबई:

वन महोत्सव सप्ताह के मौके पर महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) राज्यभर में दो लाख पौधे लगाएगी. यह वृक्षारोपण 1 जुलाई से 7 जुलाई के बीच किया जाएगा. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह MHADA की सबसे बड़ी और राज्यव्यापी पहल होगी. इस अभियान के तहत मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में लगभग 50,000 पौधे रोपित किए जाएंगे.

मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में जमीन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए MHADA ने तय किया है कि जहां कोई निर्माण कार्य संभव नहीं है जैसे अनुपयोगी या अनुपलब्ध प्लॉट्स, उन्हें हरे-भरे शहरी जंगलों में बदला जाएगा. इसके लिए जापानी 'मियावाकी' पद्धति का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें कम जगह में घने और टिकाऊ पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं. यह तकनीक जैव विविधता बढ़ाने में काफी असरदार मानी जाती है.

MHADA के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रीय बोर्ड, जैसे मुंबई हाउसिंग बोर्ड और कोकण हाउसिंग बोर्ड, अपने-अपने इलाकों में वृक्षारोपण की विस्तृत योजना बनाएंगे. मुंबई हाउसिंग बोर्ड को 50,000 और कोकण बोर्ड को 25,000 पौधों का लक्ष्य सौंपा गया है. वहीं पुणे, नाशिक, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर और अमरावती के बोर्डों को भी 25-25 हजार पौधे लगाने का निर्देश दिया गया है.

MHADA ने यह भी कहा है कि हर पौधे की देखभाल की जिम्मेदारी संबंधित हाउसिंग सोसायटियों को दी जाएगी ताकि यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक पहल न बनकर एक दीर्घकालिक प्रयास बने. सभी पौधे जिओ-टैग किए जाएंगे ताकि समय-समय पर उनकी निगरानी और समीक्षा की जा सके.

इसके अलावा, जहां-जहां MHADA की परियोजनाओं के तहत पेड़ों की कटाई होगी, वहां अनिवार्य रूप से प्रतिपूरक वृक्षारोपण करना होगा. इस दिशा में एक परिपत्र जारी किया जा रहा है, जो पहले मुंबई में लागू होगा और फिर अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया जाएगा.

MHADA की इस पहल को बढ़ते वायु प्रदूषण, गर्मी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनज़र एक सार्थक प्रयास माना जा रहा है. यह केवल हरियाली बढ़ाने की मुहिम नहीं है, बल्कि शहरों को फिर से सांस लेने लायक बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी है.

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