भारत ने सुरक्षा के मद्देनजर कोविड के उपचार की सूची में मर्क की गोली को नहीं जोड़ा है, एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने आज एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान ये जानकारी दी. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड की गोली मोलनुपिरवीर में सुरक्षा संबंधी दिक्कते थीं और इसलिए इसे उपचार की राष्ट्रीय सूची में शामिल नहीं किया गया है. डॉ भार्गव ने कहा, "मोलनुपिरवीर में उत्परिवर्तजनता, मांसपेशियों और हड्डियों की क्षति सहित प्रमुख सुरक्षा दिक्कते हैं. यदि इस दवा को दिया जाता है तो तीन महीने तक गर्भपात कराना पड़ता है क्योंकि इससे बच्चे को समस्या हो सकती है. इसलिए इसे नेशनल टास्क में शामिल नहीं किया गया है. ओमिक्रॉन देश के शहरों में तेजी से फैल रहा है. इसकी रोकथाम के लिए सामूहिक समारोहों से बचना चाहिए."
मर्क की कोविड टैबलेट की प्रभावी क्षमता पहले के दावे से काफी कम पाई गई
भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा दो टीकों के साथ इस दवा को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने के कुछ ही दिनों बाद यह घोषणा की गई है. भारतीय दवा निर्माता डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने कल घोषणा की कि वह अगले सप्ताह से मर्क दवा का एक सामान्य संस्करण लॉन्च करने की योजना बना रही है.
बता दें कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दृष्टि से मर्क ने आठ घरेलू दवा निर्माताओं के साथ 100 से अधिक कम और मध्यम आय वाले देशों को मोलनुपिरवीर के जेनेरिक संस्करण बनाने और आपूर्ति करने के लिए लाइसेंसिंग समझौते किए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि भारत में कुल 13 कंपनियां मोलनुपिरवीर दवा बनाएंगी.
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गौरतलब है कि भारत में ओमिक्रॉन के चलते बड़ी संख्या में कोरोना के नए मरीज सामने आ रहे हैं. कोविड की इस संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. भारत में अब तक ओमिक्रॉन के 2,135 मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले हैं और संख्या में दिल्ली दूसरे नंबर पर है.
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