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भगोड़े मेहुल चोकसी की भारत वापसी तय! एंटवर्प कोर्ट ने भारत प्रत्यर्पण को दी मंजूरी

भारत ने कहा कि चोकसी अभी भी भारतीय नागरिक है और उसका एंटीगुआ नागरिकता का दावा विवादित है. चोकसी ने अदालत में कहा कि उसने 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी और 16 नवंबर 2017 को एंटीगुआ की नागरिकता ली थी.

भगोड़े मेहुल चोकसी की भारत वापसी तय! एंटवर्प कोर्ट ने भारत प्रत्यर्पण को दी मंजूरी

एंटवर्प (बेल्जियम) की अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. अदालत ने कहा कि भारतीय अनुरोध पर बेल्जियम पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी वैध है. हालांकि, चोकसी अब भी उच्च अदालत में अपील कर सकता है, इसलिए उसे तुरंत भारत नहीं लाया जाएगा, लेकिन यह पहला और अहम कदम है. अदालत ने दोनों पक्षों बेल्जियम अभियोजन पक्ष (भारत की ओर से) और चोकसी के वकीलों की दलीलें सुनीं.

11 अप्रैल 2025 को एंटवर्प पुलिस ने किया था गिरफ्तार

11 अप्रैल 2025 को चोकसी को एंटवर्प पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जो पिछले चार महीने से जेल में बंद है. उसकी कई बार की जमानत याचिकाएं बेल्जियम की अदालतों ने खारिज कर दीं. भारत ने चोकसी पर धोखाधड़ी, साजिश, सबूत नष्ट करने, भ्रष्टाचार आदि के आरोप लगाए हैं. चोकसी पर आईपीसी की धाराएं 120B, 201, 409, 420, 477A के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं 7 और 13 के मुकदमे लगे हुए हैं.

भारत ने कई बार पेश किए सबूत

भारत ने UNTOC और UNCAC (अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार व संगठित अपराध विरोधी संधियों) का भी हवाला दिया. CBI की टीम ने तीन बार बेल्जियम जाकर सबूत पेश किए और एक यूरोपीय निजी लॉ फर्म को भी नियुक्त किया. भारत ने बेल्जियम को आश्वस्त किया कि प्रत्यर्पण के बाद चोकसी को मुंबई के आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा. CPT (यूरोपीय मानकों) के अनुरूप सुविधाएं दी जाएंगी. साफ पानी, भोजन, अखबार, टीवी, निजी डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध होगी.

भारत ने कहा कि चोकसी अभी भी भारतीय नागरिक है और उसका एंटीगुआ नागरिकता का दावा विवादित है. चोकसी ने अदालत में कहा कि उसने 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी और 16 नवंबर 2017 को एंटीगुआ की नागरिकता ली थी.

3000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांटेड

चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक में 13000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांटेड हैं. यह धोखाधड़ी उन्होंने मुंबई की ब्रैडी हाउस ब्रांच के कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके कथित तौर पर फर्जी शपथपत्र के जरिए की थी.

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