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This Article is From Sep 08, 2016

महबूबा मुफ्ती को इस्‍तीफा दे देना चाहिए, वरिष्‍ठ पीडीपी नेता मुजफ्फर बेग ने तय की समयसीमा

महबूबा मुफ्ती को इस्‍तीफा दे देना चाहिए, वरिष्‍ठ पीडीपी नेता मुजफ्फर बेग ने तय की समयसीमा
जम्‍मू कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा है कि अगर बीजेपी के साथ गठबंधन का एजेंडा राज्‍य में लागू नहीं हो पा रहा हो तो महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे देना चाहिए.

उन्‍होंने महबूबा मुफ्ती के इस्‍तीफे के लिए डेडलाइन भी तय कर दी है. उन्‍होंने एनडीटीवी से कहा कि अगले छह महीने में अगर कोई प्रगति नहीं हुई तो मुख्‍यमंत्री के लिए यही वाजिब होगा कि वे इस्‍तीफा दे दें.

बेग इस बात को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं कि सत्तारूढ़ पीडीपी लोगों के गुस्‍से का सीधा निशाना बन रही है. जुलाई में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद से कश्‍मीर घाटी में जारी हिंसा और प्रदर्शनों में अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों अन्‍य घायल हुए हैं.

बेग ने कहा, 'गठबंधन का एजेंडा लागू नहीं हो पाने की वजह से पीडीपी की बदनामी हो रही है और पार्टी आहत है.'

बेग ने साझेदारी को लेकर बीजेपी की प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाए और कहा, मुझसे कहा गया था कि गठबंधन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन है, तो वे उस तरह से नेतृत्‍व क्‍यों नहीं करते?

बेग ने पहले भी कहा है कि एक ओर जहां जम्‍मू क्षेत्र में बीजेपी लगातार मजबूत होती जा रही है जहां दो साल पहले हुए चुनाव में उसका दबदबा रहा था, लेकिन पीडीपी कश्‍मीर घाटी में लगातार आधार खोती जा रही है जबकि चुनाव में उसने घाटी की सारी सीटें जीती थी.

2014 के विधानसभा चुनावों में जम्‍मू-कश्‍मीर में किसी भी पार्टी को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला था और इस तरह त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी थी. कई हफ्तों की बातचीत के बाद वैचारिक रूप से एक दूसरे की विरोधी पीडीपी, जो कि राज्‍य की सबसे बड़ी पार्टी थी, और बीजेपी, जो दूसरे नंबर की पार्टी थी, ने गठबंधन किया और महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्‍मद सईद मुख्‍यमंत्री बने.

अनुच्‍छेद 370, जो जम्‍मू-कश्‍मीर को स्‍वायत्तता प्रदान करता है और आर्म्‍ड फोर्सेस स्‍पेशल पावर एक्‍ट जैसे कई अहम मुद्दों पर एक दूसरे से बिल्‍कुल उलट राय रखने वाली दोनों पार्टियों ने साझा कार्यक्रम पर आधारित गठबंधन बनाया.

पीडीपी के कई वरिष्‍ठ नेता केंद्र में सत्तारूढ़ और अपनी साझेदार बीजेपी पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह एजेंडे की मुख्‍य शर्तों को अमलीजामा पहनाने में नाकाम रही है.

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