देश में बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए RBI बड़े स्तर पर हस्तक्षेप करने की तैयारी कर रही है. इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिया है की अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो नियंत्रित करने के लिए पॉलिसी रेपो रेट में कुछ और बढ़ोतरी एक विकल्प है. सेंट्रल बैंक की मोनेटरी पॉलिसी कमिटी जून के पहले हफ्ते में बैठक कर महंगाई नियंत्रित करने के लिए नए क़दमों का ऐलान कर सकती है. इससे पहले 4 मई को ही आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाया था जिसके बाद कई बैंकों ने होम लोन और दूसरे क़र्ज़ पर ब्याज दर बढ़ा दिया है.
देश में बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए आरबीआई अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को नियंत्रित करने के लिए पॉलिसी रेपो रेट यानी वो रेट जिस पर RBI बैंकों को क्रेडिट मुहैया कराती है मैं और बढ़ोतरी कर सकती है. इकोनोमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में आरबीआई गवर्नर ने इसके संकेत दिए हैं. पालिसी रेपो रेट का सीधा असर होम लोन और दूसरे तरह के लोन के ब्याज दर पर पड़ता है.
ये पूछे जाने पर कि मार्केट में पॉलिसी रेपो रेट के बढ़कर 5.15% करने की चर्चा सही है, आरबीआई गवर्नर ने कहा .
आप सटीक रूप से यह नहीं कह सकते कि यह (पॉलिसी रेपो रेट) 5.15% होगा. हमने कहा है कि हम प्री-कोविड स्थिति में वापस जाना चाहेंगे - विकास, रेपो दर और लिक्विडिटी के मामले में. इस विषय पर सटीक होना संभव नहीं है. यह कम या ज्यादा हो सकता है. शक्तिकांत दास ने कहा कि इंटरेस्ट रेट बढ़ाने पर विचार के दौरान ये सुनिश्चित करना जरूरी होगा की इसकी वजह से मार्केट को झटका न झेलना पड़े और इकनोमिक ग्रोथ में सुधार बाधित न हो.
इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने NDTV से कहा "इसी महीने की शुरआत में जब RBI ने पालिसी रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाया था उसी वक्त ये इंडिकेशन था की इसे और बढ़ाया जायेगा. एक ही तरीका है महंगाई रोकने का कि आप इंटरेस्ट रेट बढ़ाएं. मुझे लगता है कि पालिसी रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट और बढ़ाना जरूरी होगा. लेकिन इसका असर ग्रोथ पर पड़ेगा और रोज़गार पर भी".
उधर बढ़ती महंगाई दर को देखते हुए अंतराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने मौजूदा वित्तीय साल के लिए भारत की अनुमानित आर्थिक विकास दर मार्च २०२२ के प्रोजेक्टेड 9.1% से घटाकर 8.8% कर दिया है. मूडीज़ ने इसके लिए अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल, फ़ूड और खाद की बढ़ी हुई कीमतों को बड़ी वजह बताया है.
देश में महंगाई नियंत्रित करने के लिए पिछले कुछ हफ़्तों में लिए गए बड़े फैसलों के बावजूद महंगाई के मोर्चे पर चुनौती बनी हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और कई दूसरी जरूरी कमोडिटीज़ की कीमतें ऊंचे स्तर पर बानी हुई हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा की जून के पहले हफ्ते में होने वाले RBI की मोनेटरी पालिसी समिति की बैठक के बाद गवर्नर महंगाई रोकने के लिए क्या नए फैसलों का ऐलान करते हैं.
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