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This Article is From Feb 01, 2022

मथुरा में खानपान पर क्यों बंदिशें लगाने की हो रही कोशिश? मीट कारोबार की सियासत पर क्‍या कहते हैं लोग

विकास बाजार में कुछ दिन बाद श्रीनाथ डोसा के नाम से दुकान चलाने वाले आबिद को हिन्दू संगठनों ने दुकान का नाम बदलने पर मजबूर कर दिया.

इस इलाके से सभी नॉनवेज की दुकानों को बंद कर दिया गया. (प्रतीकात्मक फोटो)

मथुरा:

मथुरा में पिछले साल योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्म स्थान के आस पास सालों से चल रही मीट की दुकानों को बंद कर दिया गया था. विकास बाजार में कुछ दिन बाद श्रीनाथ डोसा के नाम से दुकान चलाने वाले आबिद को हिन्दू संगठनों ने दुकान का नाम बदलने पर मजबूर कर दिया. इस इलाके से सभी नॉनवेज की दुकानों को बंद करा दिया गया. अब राज्‍य में विधानसभा चुनाव होने को हैं और ऐसे में स्‍थानीय लोगों के लिए यह भी एक मुद्दा हो सकता है. ऐसे में यह जानना दिलचस्‍प है कि लोग इस बारे में क्या सोचते हैं.

यहां स्थित माजिद रेस्टोरेंट पर अब केवल वेज खाना ही मिलता है. पहले यहां केवल नॉन वेज खाना बेचा जाता था. एक रेस्टोरेंट के मालिक का कहना है कि इस बदलाव के पीछे कोई आधिकारिक आदेश तो नहीं है, लेकिन तानाशाही जरूर है, रातों रात पुलिस आती है और आकर जोर जबरदस्ती से नॉन वेज का काम बंद करवा देती है. इसके लिए पहले से कोई चेतावनी या नोटिफिकेशन भी नहीं दिया गया और न ही कोई समय दिया गया. हमारे यहां जो भी लोग काम किया करते थे, वे करीब करीब सारे ही लोग बेरोजगार हो गए.

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आस्था का सवाल है तो यहां की जगह कहीं और भी तो दुकान लगाई जा सकती है, यह सवाल पूछने पर एक दुकानदार ने कहा कि जनता क्या खाएगी, जनता क्या पहनेगी, जनता कैसे रहेगी, यह सब तो संविधान में बताया गया है. सबको आजादी दी गई है कि वह अपने धर्म का पालन करे, अपनी मर्जी से खाए, अपनी मर्जी से पहने. जब यह सरकार संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन कर रही है तो इस सरकार से और क्या उम्मीद की जा सकती है. मथुरा गंगा जमुनी तहजीब का शहर है.

यहां मौजूद अन्य दुकानदार से जब पूछा गया कि आस्था की नगरी होने के कारण और श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था को चोट पहुंचती है, इसकी वजह से सरकार ने कहा कि यहां से तीन किलोमीटर दायरे के बाहर ​इन दुकानों को शिफ्ट कर लिया जाए. इस पर दुकानदार ने जवाब दिया कि हम मंदिर के इतना करीब हैं, हम यहां सेवा करते हैं. हमसे बड़ा भक्त कौन है.

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एलएलबी की स्टूडेंट अर्शी नाज फातिमा ने कहा कि इस किस्म का कोई प्रावधान किसी कानून, किसी क्लॉज, संविधान ​की किसी किताब में इस तरह का कोई उदाहरण नहीं मिलता जहां एक नेता की इच्छा मात्र से लोगों का रोजगार छीन लिया जाता है. रसखान से बड़ा कृष्ण भक्त कौन था. यहां आवाम में कोई भेदभाव नहीं है.

अमेरिकन डोसा कॉर्नर का नाम पहले श्रीनाथ डोसा था, लेकिन क्योंकि इस डोसा कॉर्नर को चलाने वाला आबिद मुस्लिम है, इसलिए जोर देकर उसे अपनी दुकान का नाम बदलने पर मजबूर किया गया. वहां मौजूद दुकानदार ने बताया कि कुछ समय पहले हिंदू संगठन के कुछ लोग आए थे जिन्हें जब पता चला कि दुकान का नाम श्रीनाथ डोसा है, जबकि इसे चलाने वाला एक मुस्लिम है, तो उन्होंने यहां लगे बोर्ड फाड़ दिए, जिसके बाद आबिद को अपनी दुकान का नाम बदलना पड़ा.

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