केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को कोच्चि में पत्रकारों के साथ बातचीत से कुछ मीडिया समूहों को बाहर कर दिया और इस फैसले की राज्य में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी कांग्रेस ने तीखी आलोचना की. दोनों दलों ने इस कदम को 'फासीवादी' करार दिया. खान ने सोमवार सुबह तब तक मीडिया से बात करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया जब तक कि माकपा नियंत्रित 'कैराली न्यूज' और कोझीकोड के ‘‘मीडिया वन'' के पत्रकारों को वहां से हटा नहीं दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों से बात करने के लिए खुद को अब और समझाने में सक्षम नहीं हूं जो मीडिया के रूप में वास्तव में पार्टी कैडर हैं. मैं कैराली से कोई बात नहीं करूंगा. अगर कैराली यहां होगा तो मैं चला जाऊंगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि यहां कोई भी मीडिया वन से नहीं है. मैं आपसे (मीडिया वन से) बात नहीं करना चाहता. बाहर निकलो. मैं आपसे बात नहीं करूंगा और मैं कैराली से बात नहीं करूंगा. कृपया... यदि यहां कोई मीडिया वन और कैराली से है तो कृपया यहां से चले जाएं.''
नाराज दिख रहे खान ने दावा किया कि मीडिया वन शाह बानो मामले को लेकर उनसे केवल बदला ले रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘आप (मीडिया वन) मेरे खिलाफ अभियान चला रहे हैं.'' जब कुछ अन्य पत्रकारों ने कहा कि राजभवन के जनसम्पर्क अधिकारी (पीआरओ) द्वारा कार्यक्रम स्थल पर सभी को आमंत्रित किया गया है या अनुमति दी गई है, तो राज्यपाल ने कहा, ‘‘कोई गलती हो सकती है.'' खान ने कहा, ‘‘मैंने बार-बार घोषणा की है कि मैं कैराली से बात नहीं करूंगा, मैं मीडिया वन से बात नहीं करूंगा. वे मेरे खिलाफ पूरी तरह से झूठ के आधार पर अभियान चला रहे हैं. अगर राजभवन से किसी ने कोई चूक की है, तो मैं निश्चित रूप से इस पर गौर करूंगा.''
खान ने कहा, ‘‘हालांकि मैंने स्पष्ट कर दिया है कि मैं कैराली या मीडिया वन से बात नहीं करूंगा. इसे बार-बार स्पष्ट किया है. वे मूल रूप से राजनीतिक लोग हैं जो मीडिया का मुखौटा लगा रहे हैं.''राज्यपाल द्वारा कुछ मीडिया घरानों को बाहर करने को ‘‘अस्वीकार्य, अलोकतांत्रिक और अनुचित'' करार देते हुए और आलोचना करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि प्रेस के एक वर्ग को छांटकर, खान जानकारी को लोगों तक पहुंचने से रोक रहे हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘मीडिया को बाहर करना फासीवादी व्यवस्था की एक शैली है. यह न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है.'' सतीशन ने दावा किया, यहां तक कि कांग्रेस समर्थित ‘‘जयहिंद टीवी'' को भी कार्यक्रम स्थल तक जाने से रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को मीडिया सहित किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल सहित उच्च पदों पर आसीन लोगों को इस तरह के कृत्यों से अपने पद की गरिमा को धूमिल नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जिसने भी मीडिया को कार्यक्रम स्थल से जाने के लिए कहा, वह अलोकतांत्रिक था.''
वहीं माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने कहा कि आमंत्रित किए जाने के बाद कुछ मीडिया घरानों को संवाददाता सम्मेलन से बाहर करना, एक 'फासीवादी' कदम है. उन्होंने एक बयान में कहा कि वाम दल इस तरह के कदमों का विरोध करेगा और इन तरीकों से केरल की सरकार और लोगों को डराने-धमकाने के प्रयास सफल नहीं होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल ने पहले भी ऐसा ही रुख अपनाया है. उनकी आलोचना करने वालों को कैडर कहा जाता है. यह लोकतांत्रिक समाज में अस्वीकार्य है.'' माकपा के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने भी राज्यपाल को 'तानाशाह' करार देते हुए कुछ मीडिया समूहों को बाहर करने की आलोचना की. राज्यपाल के फैसले पर सांसद ने कहा, ‘‘केरल में एक तानाशाह का जन्म हुआ है.''
ब्रिटास ने कहा कि खान ने अनुमति लेने के बाद संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने आए मीडिया का अपमान किया और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कैराली न्यूज के सभी कर्मचारी दिन के दौरान समाचार प्रस्तुत करते समय विरोध के संकेत के रूप में काला बैज पहनेंगे. इस बीच, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) ने भी राज्यपाल के फैसले की निंदा की और मांग की कि वह अपनी 'गलती' को सुधारें और अपनी 'अलोकतांत्रिक' कार्रवाई के लिए 'खेद व्यक्त करें.''
केयूडब्ल्यूजे ने एक विज्ञप्ति में यह भी कहा कि राज्यपाल के कृत्यों ने आलोचना के प्रति असहिष्णुता का संकेत दिया और कहा कि वह मंगलवार सुबह राजभवन तक एक विरोध मार्च आयोजित करेगा. सभी मीडिया घरानों को निर्देश दिया गया था कि वे सोमवार सुबह संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति मांगने के लिए एक ई-मेल भेजें. राज्यपाल के आने से पहले, उनके कार्यालय के अधिकारियों ने मीडिया घरानों की सूची पढ़ी और कैराली और मीडिया वन सहित उनकी उपस्थिति की पुष्टि की.
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