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This Article is From Apr 09, 2015

मराठी फिल्म मुद्दा : शोभा डे के ट्वीटों पर भड़की शिवसेना, वड़ा-पाव लेकर किया प्रदर्शन

मराठी फिल्म मुद्दा : शोभा डे के ट्वीटों पर भड़की शिवसेना, वड़ा-पाव लेकर किया प्रदर्शन
शोभा डे की फाइल तस्वीर
मुंबई:

शिवसेना ने प्रसिद्ध कॉलमनिस्ट शोभा डे के ट्वीट्स को लेकर आज प्रदर्शन किया। शिवसेना समर्थक आज शोभा डे के घर के बाहर पहुंच गए और वड़ा पाव बांटते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

सदन में भी शिवसेना विधायक ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने का भी मन बनाया है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में एक लेख में कहा था कि मराठी फिल्मों की खिल्ली उड़ाने वाली शोभा डे के विरोध में शिवसेना आक्रामक होगी।

शिवसेना ने कहा कि यदि बाल ठाकरे ने मराठी संस्कृति को बचाने के लिए ‘‘दादागीरी’’ नहीं की होती तो शोभा के पूर्वज ‘‘पाकिस्तान में पैदा हुए होते’’ और वह ‘‘पेज-3 पार्टियों में बुर्के में शामिल होतीं ।’’

शोभा ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं मराठी फिल्मों से प्यार करती हूं। यह मुझे निर्णय करने दीजिए कि मैं कब और कहां उन्हें देखूं, देवेंद्र फडणवीस। यह कुछ और नहीं, बल्कि दादागीरी है।’’

शिवसेना ने कहा, ‘‘मराठी संस्कृति और भोजन पर शोभा ने जो टिप्पणी की है, वह मराठी लोगों का अपमान करने के समान है। उन्होंने हमारी संस्कृति का भी अपमान किया है।’’

शोभा ने अपने ट्वीट में कहा, मल्टीप्लेक्सों में अब पॉपकॉर्न की जगह (मराठी भोजन) ‘दही मिसल’ और ‘वड़ा पाव’ मिलेगा।

नीचे शोभा के कुछ ट्वीट्स हैं, जिन पर बवाल मचा है।

 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के मल्टीप्लेक्सों में प्राइम टाइम में मराठी फिल्म दिखाना अनिवार्य करने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर स्तंभकार शोभ डे ने कई ट्वीट किए।

इस पर शिवसेना विधायक प्रताप सरनायक ने विधानसभा में कहा कि उपन्यासकार शोभा डे ने सदन की भावनाओं को आहत किया है।

बता दें कि अब महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले हिन्दी सिनेमा के पितामह दादासाहब फाल्के पर एक लघु फिल्म दिखाना भी अनिवार्य कर दिया गया है और इससे भी पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री तावड़े ने कहा था कि वर्तमान नियमों में संशोधन के बाद यह निर्णय लागू किया जाएगा।

उधर, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने मल्टीप्लेक्सों में मराठी फिल्मों का प्रदर्शन अनिवार्य करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को लेकर उठे विवाद को यह कहते हुए आज समाप्त करने का प्रयास किया कि यह निर्णय पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने दस साल पहले किया था। उन्होंने कहा कि राज्यों में अलग अलग भाषाएं हैं और उनकी अपनी प्राथमिकताएं हैं।

मराठी फिल्मों की कुछ प्रमुख हस्तियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, हालांकि हिन्दी सिनेमा के लोगों की राय बंटी हुई नजर आई। कुछ फिल्मकारों ने कहा कि यह जबरन नहीं होना चाहिए।

विपक्षी कांग्रेस ने कहा कि क्षेत्रीय फिल्मों को सहयोग की जरूरत है, लेकिन यह प्रोत्साहन जबरन नहीं होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने कहा कि मराठी फिल्मों को बढ़ावा देने में कुछ गलत नहीं है, लेकिन इसको लेकर जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।

हिन्दी सिनेमा के फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि वैश्विक दुनिया में क्षेत्रीय पहचान को प्रासंगिक बने रहने के लिए खुद जोर लगाना होगा।

(भाषा से इनपुट के साथ)

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