विज्ञापन

मराठा आरक्षण: क्‍या है हैदराबाद गजट, जिसे लागू करने को तैयार हुई सरकार, कैसे बना आंदोलन की जीत का आधार?

निजाम सरकार ने एक आदेश जारी किया जिसमें मराठा समुदाय, जिसे 'हिंदू मराठा' के रूप में पहचाना जाता है, को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया. इसे औपचारिक रूप से आधिकारिक राजपत्र में दर्ज किया गया, जिसे बाद में हैदराबाद गजट के नाम से जाना गया.

मराठा आरक्षण: क्‍या है हैदराबाद गजट, जिसे लागू करने को तैयार हुई सरकार, कैसे बना आंदोलन की जीत का आधार?
  • महाराष्ट्र सरकार ने हैदराबाद गजट लागू करने का निर्णय लिया है जो मराठा आरक्षण के लिए ऐतिहासिक दस्तावेज है.
  • हैदराबाद गजट 1918 में निजाम सरकार द्वारा जारी आदेश था जो मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करता था.
  • मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा मानते हुए आरक्षण की मांग को सरकार ने गंभीरता से लिया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा मोड़ आ गया है. मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने मंगलवार को सरकार से मांगें माने जाने के बाद अपना पांच दिन का अनशन समाप्त कर दिया. राज्‍य सरकार ने हैदराबाद गजट को लागू करने का फैसला लिया है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, हमारी सरकार ने हैदराबाद गजट को लागू करने का जीआर निकाला है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार सहित हम सब लोगों ने मिलकर इसको सकारात्मकता के साथ लिया है. हमारी सरकार ने समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए ये निर्णय लिया है. 

क्‍या है हैदराबाद गजट?

हैदराबाद गजट 1918 में हैदराबाद की तत्कालीन निजाम सरकार द्वारा जारी एक आदेश का उल्लेख करता है. उस समय, हैदराबाद राज्य में मराठा समुदाय बहुसंख्यक था, लेकिन ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि सत्ता और रोजगार के पदों पर उनकी उपेक्षा की जा रही थी.

इस समस्या के समाधान के लिए, निजाम सरकार ने एक आदेश जारी किया जिसमें मराठा समुदाय, जिसे 'हिंदू मराठा' के रूप में पहचाना जाता है, को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया. इसे औपचारिक रूप से आधिकारिक राजपत्र में दर्ज किया गया, जिसे बाद में हैदराबाद गजट के नाम से जाना गया.

हैदराबाद गजट में मध्य महाराष्ट्र के वर्तमान मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल थे. यह राजपत्र पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य के कुछ मराठा समुदाय समूहों सहित कुछ समुदायों को कुनबी के रूप में वर्गीकृत करता है, जिन्हें महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में शामिल किया गया है.

मराठा आरक्षण आंदोलन में जीत का आधार 

आज भी, इस राजपत्र को मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए चल रहे संघर्ष में ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में उद्धृत किया जाता है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की वर्तमान मांगों के दौरान, इस दस्तावेज का बार-बार ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में उल्लेख किया जाता रहा. इसे इस बात का प्रमाण माना जाता है कि मराठा समुदाय को लंबे समय से आधिकारिक अभिलेखों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना जाता रहा है.

महाराष्ट्र सरकार ने हैदराबाद राजपत्र पर एक आदेश (GR) जारी किया और उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में सहायता के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की जो अतीत में खुद को कुनबी के रूप में मान्यता देने वाले दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करने में सक्षम हैं. इसके बाद, कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने मराठा आरक्षण की माँग पर जीत की घोषणा करते हुए मुंबई में अपनी पांच दिन पुरानी भूख हड़ताल समाप्त कर दी.

सरकारी आदेश (GR) सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी किया गया था. यह आदेश कैबिनेट मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल और मनोज जारंगे के बीच बातचीत में सफलता की पृष्ठभूमि में जारी किया गया था. बता दें कि मनोज जारंगे मुंबई के आजाद मैदान में ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर अपनी भूख हड़ताल पर बैठे थे.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com